भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता कहा जाता है। इनका जन्मोत्सव देश भर में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। साल 2021 में गणेश चतुर्थी उत्सव की शुरुआत 10 सितंबर से होने जा रही है। 10 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव का समापन 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन होगा। इसे विनायक चतुर्थी, कलंक चतुर्थी और डण्डा चतुर्थी आदि नामों से भी जाना जाता है। दस दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार पर गणेश जी की मूर्ति घर में स्थापित की जाती है।

हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है। किसी भी शुभ काम या पूजा की शुरुआत इनकी अराधना से की जाती है। माना जाता है कि ऐसा करने से शुरू किया गया काम बिना किसी रुकावट के संपन्न हो जाता है। भगवान गणेश को सुख, समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है जो व्यक्ति इनकी सच्चे मन से पूजा करता है उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं।

गणेश जी की मूर्ति घर के उत्तरी पूर्वी कोने में रखना सबसे शुभ माना जाता है। ये दिशा पूजा-पाठ के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। इसके अलावा आप गणेश जी की प्रतिमा को घर के पूर्व या फिर पश्चिम दिशा में भी रख सकते हैं। गणेश जी की प्रतिमा रखने समय इस बात का ध्यान रखें कि भगवान के दोनों पैर जमीन को स्पर्श कर रहे हों। मान्यता है इससे सफलता मिलने के आसार रहते हैं। गणेश जी की प्रतिमा को दक्षिण दिशा में न रखें।

घर में बैठे हुए गणेश जी की प्रतिमा रखना उत्तम माना जाता है। मान्यता है इससे घर में सुख-समृद्धि आती है। घर में गणेश जी की ऐसी ही प्रतिमा लगाएं जिसमें उनकी सूंड बायीं तरफ झुकी हुई हो और पूजा घर में सिर्फ एक ही गणेश जी की प्रतिमा होनी चाहिए।

Source: Jansatta

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