गर्मी शुरू होने से पहले ही जिले में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) ने धमक दे दी है। इस वर्ष एईएस का पहला मरीज पारू प्रखंड में मिला है। पारू निवासी ढाई वर्षीय आकाश कुमार को तीन दिन पहले एसकेएमसीएच में भर्ती कराया गया था। तेज बुखार व चमकी से पीडि़त होने पर स्वजन उसे लेकर आए थे। इसकी जांच रिपोर्ट गुरुवार को आई, जिसमें एईएस की पुष्टि हुई है।
स्वजनों की मानें तो तीन दिन पहले आकाश को अचानक तेज बुखार आया। इसके कुछ देर बाद ही उसे चमकी आने लगी। उसकी हालत देखकर आननफानन में एसकेएमसीएच लेकर पहुंचे। चिकित्सकों ने उसका ब्लड व अन्य सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा। एसकेएमसीएच प्रबंधन की ओर से इसकी रिपोर्ट जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. सतीश कुमार को भेजी गई। उन्होंने बताया है कि पारू के आकाश कुमार में एईएस के लक्षण पाए गए। इलाज के दौरान उसमें अननोन (अज्ञात) एईएस की पुष्टि हुई है। बच्चे की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है।
हर वर्ष कहर बन कर आती एईएस
जिले में एईएस बीमारी बच्चों पर हर वर्ष कहर बरपाती है। दर्जनों बच्चे बीमार होते और कई असमय काल के गाल में समा जाते हैं। अब तक इस बीमारी के मूल कारणों का पता नहीं चल सका है। हालांकि वर्ष 2020 में पीडि़त बच्चों की जांच में माइटोकांड्रियाक्षतिग्रस्त होने की पुष्टि हुई थी। इस वर्ष शोध के लिए फिर एम्स पटना व जोधपुर की टीम आएगी। वहीं जिला प्रशासन की ओर से इस बीमारी से बचाव के लिए अभी से ही जागरूकता अभियान व स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया गया है।
Input: Dainik Jagran