ग्रामीण क्षेत्र की आवासीय संपत्तियों पर बैंक से कर्ज लेना अब आसान हो जाएगा। ग्राम पंचायतों के दायरे में आने वाली आवासीय संपत्तियों का मालिकाना हक देने की योजना परवान चढ़ने लगी है। गांवों के मकानों का डिजिटल सर्वेक्षण कई राज्यों में शुरू हो चुका है। इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी, जिसे गांव के लोगों ने लिए एक क्रांतिकारी फैसला माना जा रहा है। पंचायतों के कामकाज में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से ई-प्रणाली को अपनाए जाने पर जोर दिया जा रहा है।

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स्वामित्व योजना के लागू हो जाने के बाद गांव में रहने वाले लोग भी शहरों की तर्ज पर अपने मकानों का व्यावसायिक उपयोग कर सकेंगे। गांव के लोगों के पास फिलहाल उनके मकानों के कोई कानूनी दस्तावेज नहीं होने से बैंक उसके आधार पर कर्ज देने से मना कर देते हैं। पंचायती राज मंत्रलय की स्वामित्व योजना पर ज्यादातर राज्यों में क्रियान्वयन होने लगा है। मंत्रलय के आयोजित वचरुअल राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार समारोह में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस योजना को सभी राज्यों से लागू करने की अपील की। देश की तकरीबन दो लाख ग्राम पंचायतें इंटरनेट से जुड़ चुकी हैं। पंचायतों में पारदर्शिता लाने को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ई-पंचायत पुरस्कार की शुरुआत की गई। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत गांवों की आत्मनिर्भरता के बारे में तोमर ने कहा कि इसके मूल में गांव की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है। पंचायतों की भूमिका को और विस्तार देने के बारे में उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों को अब समग्र विकास पर जोर देना है। इसके तहत गांव के हर बच्चे को स्कूल में दाखिल कराना और पोषक तत्व मुहैया कराना भी शामिल है।

  • ग्रामीण आवासों का मालिकाना हक देने की योजना चढ़ रही परवान
  • पंचायती कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाने पर सरकार का जोर

Input : Dainik Jagran

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