इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण मंगलवार की मध्यरात्रि में लग रहा है। यह आंशिक रूप से होगा और भारत में दिखाई देगा। यह देर रात 1 बजकर 31 मिनट से सुबह करीब साढ़े चार बजे तक रहेगा। पंडितों के मुताबिक, उत्तराषाढ़ नक्षत्र में लगने वाला यह ग्रहण धनु राशि में होगा। चूंकि ग्रहण से पहले सूतक लग जाता है, इसलिए गुरु पूर्णिमा पर होने वाले गुरु पूजन के समस्त कार्यक्रम सूतक लगने से पहले तक ही होंगे। क्लब रोड स्थित मां राज राजेश्वरी देवी मंदिर के पुजारी आचार्य अमित तिवारी बताते हैं कि सूतक के दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। इस बार चंद्रग्रहण पर दुर्लभ योग बन रहा है। ऐसा ही योग वर्ष 1870 में 12 जुलाई को यानी 149 साल पहले बना था। जब गुरु पूर्णिमा पर चंद्रगहण लगा था और उस समय भी शनि, केतु और चंद्र के साथ धनु राशि में स्थित था। सूर्य, राहु के साथ मिथुन राशि में स्थित था। इस बार फिर शनि और केतु ग्रहण के समय चंद्र के साथ धनु राशि में रहेंगे। जिससे ग्रहण का प्रभाव ज्यादा पड़ेगा। सूर्य के साथ राहु और शुक्र भी रहने वाले हैं। सूर्य और चंद्र चार विपरीत ग्रह शुक्र, शनि, राहु और केतु के घेरे में रहेंगे।

सबसे ज्यादा असर गर्भवती स्त्रियों पर

पंडित प्रभात मिश्र बताते हैं कि किसी भी ग्रहण का सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं पर होता है। क्यों कि ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा काफी ज्यादा रहती है। इसलिए उस दौरान उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी जाती है। यदि बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्भ पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर लें। इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर नहीं होगा। साथ ही गर्भवती महिलाएं ग्रहण के दौरान चाकू, छुरी, ब्लेड व कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है। सूई-धागे का प्रयोग भी वर्जित है। इस दौरान भगवान का नाम लेते रहें।

ग्रहण काल में बरतें सावधानियां

– अन्न-जल ग्रहण नहीं करें।

– स्नान नहीं करें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें।

– ग्रहण को खुली आंखों से न देखें। हालांकि चंद्रग्रहण देखने से आंखों पर कोई बुरा असर नहीं होता।

– ग्रहण काल के दौरान गुरु द्वारा दिए मंत्रों का जाप करते रहें।

Input : Dainik Jagran

 

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