इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है कि कोरोना वायरस चिकन, मटन और सीफूड खाने से फैलता है। इन अफवाहों को लेकर एफएसएसएआई प्रमुख जी एस अयंगर ने गुरुवार को कहा कि यह ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि कोरोनोवायरस चिकन, मटन और सीफूड खाने से फैलता है। यह वायरस उच्च तापमान में जीवित नहीं रहेगा। उन्होंने कहा, “यह मूल रूप से एक पशु वायरस है। आइए हम वैज्ञानिकों को यह पता लगाने के लिए छोड़ दें कि यह कैसे प्रसारित किया गया है, हालांकि, एक बार यहां का तापमान 35-36 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है तो यह वायरस जीवित नहीं होगा। बता दें भारत में अब तक कोरोना से 29 संक्रमित लोगों की पुष्टि हो चुकी है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के सीईओ ने कहा कि एक वैज्ञानिक होने के नाते मै ता सकता हूं कि चिकन, मटन और सीफूड खाने से कोरोना का संक्रमण नहीं फैल सकता। इसके बारे में लोगों की गलत धारणा है। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं है। अय्यंगार पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ थे। उन्होंने कहा कि इस समय कोरोनावायरस का टीका विकसित करने का है। भारत में ऐसे वायरस से निपटने का एक अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड है। चाहे वह इबोला वायरस हो या एवियन फ्लू, हमने उनसे बहुत अच्छी तरह निपटा।
बता दें 2 मार्च को पोल्ट्री प्रजनकों ने सरकार से राहत पैकेज की मांग करते हुए दावा किया था कि चिकन खाने से कोरोनावायरस फैलने की फेक खबरों से एक महीने में लगभग 1,750 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है। चिकन की मांग में गिरावट के कारण फार्म गेट स्तर पर पोल्ट्री बर्ड की कीमतें 10-30 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर गई हैं, जबकि उत्पादन की औसत लागत 80 रुपये प्रति किलोग्राम है।