अपने हौंसले से दुनिया भर में मिसाल कायम करने वाली दरभंगा की ज्योति कुमारी की मदद के लिए अब हर हाथ उठने लगे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इंवाका ट्रंप की ओर से ज्योति की तारीफ के बाद कई लोग उसकी मदद के लिए सामने आये. इसमें बिहार के नेता सबसे आगे रहे. ज्योति की मदद के लिए लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान भी सामने आये. उन्होंने इस बहादुर बच्ची को 51000 रुपये मदद के रूप में दिए.

बिहार में ज्यादातर राजनीतिक पार्टियों के नेता एक-एक कर ज्योति की मदद के लिए सामने आये. हर किसी ने उसकी हिम्मत की तारीफ की. ज्योति की मदद के लिए अब होड़ मची है. लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि उनकी ओर से 51 हजार रुपये की राशि इस कोरोना संकट में आर्थिक सहायता के रूप में दी गई है. चिराग ने आगे बताया कि उन्होंने ज्योति की पढाई का पूरा खर्च करने की जिम्मेदारी ली है. ज्योति की ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई का खर्च चिराग पासवान देंगे.

जमुई सांसद ने फोन के माध्यम से मोहन पासवान से और उनकी बेटी ज्योति से बातचीत की. उन्होंने ज्योति को उसकी बहादुरी के लिए बधाई दी. उन्होंने ज्योति को पढ़ाई करने की सलाह दी और उसे कहा कि पैसे की चिंता नहीं करनी है. गौरतलब है कि दो दिन पहले ही इवांका ट्रंप ने ट्वीट कर 15 साल की ज्योति कुमारी की तारीफ की थी . इवांका ने ट्वीटर पर लिखा था “सिर्फ 15 साल की ज्योति कुमारी अपनी साइकिल के पीछे अपने घायल पिता को बैठाकर 7 दिनों में 1,200 किलोमीटर की दूरी तय करके अपने गांव में घर ले गई. धैर्य और प्रेम का यह खूबसूरत साहसिक कार्य भारतीय लोगों और साइकलिंग फेडरेशन की कल्पनाओं पर छा गया है.”

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और रामविलास पासवान ने ज्योति की मदद के लिए केंद्र सरकार के स्तर पर पहल की है. रविशंकर प्रसाद ने केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू से बात कर ज्योति को ट्रेनिंग और दूसरी सुविधायें देने को कहा. रामविलास पासवान ने भी ऐसी ही मांग की. इसके बाद केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि वे ज्योति कुमारी की मदद के लिए हर कदम उठाने को तैयार हैं.

गौरतलब है कि दरभंगा की ज्योति कुमारी लॉकडाउन के दौऱान अपने पिता के लिए श्रवण कुमार बन गयी. बेहद गरीब परिवार की ज्योति के पिता गुरूग्राम में रिक्शा चलाते थे. लेकिन लॉकडाउन के पहले वे एक दुर्घटना में घायल हो गये. पिता के घायल होने की खबर मिलने के बाद ज्योति कुमारी गुरूग्राम चली गयी लेकिन इसी बीच लॉकडाउन का एलान हो गया. पिता के साथ ज्योति गुरूग्राम में ही फंस गयी.

ज्योति के पिता का काम बंद हो गया और गुरूग्राम में रोजी-रोटी को कोई सहारा नहीं था. लिहाजा ज्योति ने पिता को लेकर अपने गांव वापस लौटने की ठानी. गांव वापसी का बस-ट्रेन जैसा कोई जरिया नहीं था. ऐसे में ज्योति ने साइकिल से गुरूग्राम से दरभंगा तक की दूरी तय करने का फैसला लिया. ज्योति ने साइकिल पर अपने पिता को बिठाया और गुरूग्राम से निकल पडी. गुरूग्राम से दरभंगा तक की 1200 किलोमीट की दूरी उसने 7 दिनों मे तय कर लिया. बेहद गरीब परिवार की ज्योति कुमारी तीन बहन और दो भाइयों के बीच दूसरे नंबर की संतान है. गरीबी के कारण उसे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी.

Input : First Bihar

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