चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि चीन भारत की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भेजे गए हजारों सैनिकों और हथियारों की वापसी लंबे समय तक नहीं हो पाएगी।

जनरल रावत ने गुरुवार कहा, ”परमाणु शक्ति संपन्न दो पड़ोसियों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने की कोशिशों में ‘विश्वास की कमी’ और ‘संदेह’ बाधक है। पिछले महीने दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर की बातचीत गतिरोध के साथ खत्म हुई, क्योंकि दोनों देश इस बात को लेकर सहमत नहीं हुए कि सीमा से कैसे आगे सैनिकों को वापस बुलाना है।

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पिछले साल से ही एलएसी पर तनाव के बीच दोनों देश सैनिकों के साथ हथियार सीमा पर बढ़ाने में जुटे हुए हैं। जनरल रावत ने कहा, ”भारत सीमा पर और समुद्र में किसी भी दुस्साहस से निपटने के लिए तैयार है।” सीडीएस ने आगे कहा कि चीनी (एलएसी के पास) गांव बसा रहे हैं और भविष्य में संभवत: इनका इस्तेमाल फौजियों के ठिकाने के रूप में हो सकता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच तनातनी के बाद चीन ने यह कदम उठाया है।

तालिबान पर जताई चिंता

सीडीएस ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे का भारत पर संभावित असर को लेकर भी चिंता जाहिर की और कहा कि जम्मू-कश्मीर में इसके जरिए आतंकवाद को बढ़ावा देने की कोशिश हो सकती है। जनरल रावत ने कहा कि शत्रुतापूर्ण रवैया रखने वाले चीन और तालिबान के साथ पाकिस्तान से जुड़े सुरक्षा मुद्दों ने भारतीय सेना के लिए उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं के साथ थिएटर कमांड पुनर्गठित करना आवश्यक बना दिया है।

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