झारखंड कोडरमा जिले के जिलाधिकारी का नाम रमेश घोलप हैं। रमेश की जिंदगी का सफर बहुत-से संघर्षों से भरा हुआ रहा है। सोशल मीडिया पर उनके एक जानकर ने उनकी जिंदगी के संघर्षों की कहानी को सांझा करते हुए लिखा है कि रमेश मेरे बेटे के लिए प्रेरणा हैं और सभी को उनके प्रेरणादायक जीवन के बारे में जानना चाहिए।

घर में हमेशा रही विपरित परिस्थितियां – वह बताते हैं कि रमेश के पिता शराबी थे, इसलिए वह घर के सदस्यों की जिम्मेदारी अच्छी तरह नहीं निभाया करते थे। जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता चला गया उसके पिता की सेहत खराब होती चली गई और जिस दिन रमेश का 12वीं क्लास का लास्ट एग्जाम था उसी दिन उनके पिता का देहांत हो गया।

इसके बाद अपने बच्चों को पालने के लिए उनकी मां ने चूड़ियां बनाने का काम किया। रमेश बहुत दुखी थे और एग्जाम देने नहीं जाना चाहते थे, तब उनकी माता ने उन्हें अपने पिता से किया हुआ वादा याद दिलाया कि – ‘आप जब मेरा 12वीं का रिजल्ट देखेंगे तो गर्व महसूस करेंगे’ इसी बात को याद करते हुए रमेश ने एग्जाम दिया और अच्छे नंबरों से पास भी हो गया।

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सरकारी नौकरी छोड़ सिविल सेवा की परीक्षाओं की तैयारी – संघर्ष करने के दौरान रमेश की प्राथमिक शिक्षक के तौर पर सरकारी नौकरी लग गई थी। उन्हें यह नौकरी 2001 में मिली थी लेकिन 2010 तक भी उनका अपना घर नहीं बन पाया था। रमेश अपनी नौकरी से संतुष्ट महसूस नहीं कर पा रहे थे और उन्होंने यह फैसला किया कि वो इस नौकरी को छोड़कर सिविल सेवा की परीक्षाओं की तैयारी करेंगे। रमेश ने अपने मन की सुनते हुए ऐसा ही किया। तब उनकी मां ने उनका यह बोलते हुए हौसला बढ़ाया कि – ‘हम लोगों का संघर्ष और कुछ दिन रहेगा, लेकिन तुम्हारा जो सपना है उसको हासिल करने के लिये तू पढ़ाई कर।’

कामयाबी हासिल करने के बाद दूसरों की मदद करने का जज्बा – आईएएस बनने के बाद उनकी मां ने कई बार उन्हें यह बात कही कि – ‘रमू, जो हालात हमारे थे, जो दिन हम लोगों ने देखे है वैसे कई लोग यहां पर भी है। उन ग़रीब लोगों की समस्याएं पहले सुन लिया करो, उनके काम प्राथमिकता से किया करो। गरीब, असहाय लोगों की सिर्फ़ दुवाएं कमाना। भगवान तुझे सब कुछ देगा।’

Source : Jansatta

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