जनकपुर के जानकी मंदिर के पास ही रंगभूमि नाम का स्थान है। जहां विवाह से पहले श्रीराम ने शिवजी का पिनाक धनुष तोड़ा था। रामायण के अनुसार इस जगह धनुष तोड़ने पर बहुत तेज विस्फोट हुआ और धनुष के टुकड़े करीब 18 किलोमीटर दूर तक जाकर गिरे। जहां आज धनुषा धाम बना है। इसके अलावा जनकपुर के पास ही रानी बाजार नाम की जगह पर मणिमंडप स्थान है। डॉ रामावतार के शोध के अनुसार ये वो स्थान है जहां सीता-राम का विवाह हुआ था।

वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता का जन्म जनकपुर में हुआ था। यहां माता सीता का मंदिर बना हुआ है। ये मंदिर क़रीब 4860 वर्ग फ़ीट में फैला हुआ है। मन्दिर के विशाल परिसर के आसपास लगभग 115 सरोवर हैं। इसके अलावा कई कुण्ड भी हैं। इस मंदिर में मां सीता की प्राचीन मूर्ति है जो 1657 के आसपास की बताई जाती है। यहां के लोगों के अनुसार एक संत यहां साधना-तपस्या के लिए आए। इस दौरान उन्हें माता सीता की एक मूर्ति मिली, जो सोने की थी। उन्होंने ही इसे वहां स्थापित किया था। इसके बाद टीकमगढ़ की महारानी कुमारी वृषभानु वहां दर्शन के लिए गईं। उन्हें कोई संतान नहीं थी। वहां पूजा के दौरान उन्होंने यह मन्नत मांगी थी कि उन्हें कोई संतान होती है तो वो वहां मंदिर बनवाएंगी। संतान प्राप्ति के बाद वो फिर आईं और करीब 1895 के आसपास मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। 16 साल में मंदिर का निर्माण पूरा हुआ।

वाल्मीकि रामायण में जनक के यज्ञ स्थल यानि वर्तमान जनकपुर के जानकी मंदिर के निकट एक मैदान है, जो रंगभूमि कहलाता है। लोक मान्यता के अनुसार इसी मैदान में देश विदेश के बलशाली राजाओं के बीच शंकर जी का पिनाक धनुष तोड़कर श्रीराम ने सीता जी से विवाह की शर्त पूर्ण की थी। रामचरित मानस में भी इसे रंगभूमि कहा है। ये नेपाल का अत्यंत प्रसिद्ध मैदान है । सालों भर यहां तरह तरह के आयोजन होते रहते हैं ।

धनुषा नेपाल का प्रमुख जिला है। इस जिले में धनुषाधाम स्थित है जो कि जनकपुर से करीब 18 किमी दूर है। धनुषा धाम में आज भी शिवजी के पिनाक धनुष के अवशेष पत्थर के रूप में मौजूद हैं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार जब पिनाक धनुष टूटा तो भयंकर विस्फोट हुआ था। धनुष के टुकड़े चारों ओर फैल गए थे। उनमें से कुछ टुकडे़ यहां भी गिरे थे। मंदिर में अब भी धनुष के अवशेष पत्थर के रूप में माने जाते हैं। त्रेतायुग में धनुष के टुकड़े विशाल भू भाग में गिरे और उनके अवशेष को धनुषा धाम के निवासियों ने सुरक्षित रखा। भगवान शंकर के पिनाक धनुष के अवशेष की पूजा त्रेता युग से अब तक अनवरत यहां चल रही है जबकि अन्य स्थान पर पड़े अवशेष लुप्त हो गए।

Input: Live Bihar

Muzaffarpur Now – Bihar’s foremost media network, owned by Muzaffarpur Now Brandcom (OPC) PVT LTD