यदि आपको जन्म प्रमाण पत्र चाहिए तो पहले 10 किलोमीटर की दौड़ लगानी होगी। इसके बाद निगम कार्यालय की गणोश परिक्रमा, तब कहीं जाकर सफलता मिले। अगर, सफलता नहीं मिली तो जेब खाली करनी पर सकती है। यह हालत तब है, जब सरकार सूबे में जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र निर्माण की ऑनलाइन सुविधा देने का दावा कर रही।
शहरी क्षेत्र में रहनेवालों के लिए जन्म प्रमाण पत्र बनवाना युद्ध जीतने जैसा है। प्रमाणपत्र के लिए पहले कचहरी जाकर एसडीओ कार्यालय से शपथ पत्र बनवाना होगा। इसके बाद शहर से 10 किमी की दूरी पर स्थित मुशहरी प्रखंड कार्यालय जाकर आवेदन जमा करना होगा। जब आवेदन निगम कार्यालय पहुंच जाए तो यहां कई टेबलों के चक्कर लगाने होंगे।
सरकारी दावों की पोल खोल रही ऑनलाइन सुविधा
दो साल पूर्व नगर निगम में जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र निर्माण को ऑनलाइन किया गया था। लेकिन, कागजों पर ही। हकीकत यह है कि ऑनलाइन सुविधा के नाम पर निगम में ऑपरेटर बहाल किए गए, विशेष काउंटर खोले गए, पर सुविधा ऑनलाइन नहीं हुई। सारा काम कागजों पर ही हो रहा।
चार टेबलों और तीन कार्यालयों से होकर गुजरती हैं फाइलें, परेशान होते आवेदक
जन्म प्रमाणपत्र निर्माण की प्रक्रिया चार टेबल एवं तीन कार्यालयों से होकर गुजरती है। एसडीओ कार्यालय में जन्म प्रमाण के लिए शपथ पत्र बनता है। उसके बाद आवेदन मुशहरी प्रखंड कार्यालय में जमा होता है। प्रमाणपत्र निर्माण का काम निगम कार्यालय करता है और प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर सदर अस्पताल में होता है। कुल मिलाकर जन्म प्रमाणपत्र बनाने की पूरी प्रक्रिया न सिर्फ अव्यावहारिक है, बल्कि शहरवासियों को परेशान करनेवाली भी।
पार्षदों की मांग, नगर निगम कार्यालय में हो पूरी प्रक्रिया
वार्ड पार्षदों का कहना है कि जन्म प्रमाण पत्र निर्माण की पूरी प्रक्रिया निगम कार्यालय में हो। शहरवासियों को प्रखंड कार्यालय जाने से छूट मिलनी चाहिए। इस संबंध में पार्षदों के एक समूह ने सरकार को भी पत्र लिखकर हो रही परेशानी से अवगत कराया था। लेकिन, समस्या का समाधान नहीं किया गया।
महापौर बनने के बाद उन्होंने जिलाधिकारी से मिलकर निगम कार्यालय में ही प्रमाण पत्र निर्माण की सारी प्रक्रिया का प्रावधान करने की बात कही थी। शहरवासियों की परेशानी को देखते हुए इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। -सुरेश कुमार, महापौर
Input : Dainik Jagran