बेला औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमी वर्तमान में पूरे इलाके में जलजमाव से संकट झेल रहे हैं। इससे उनका कारोबार करना मुश्किल को गया है। उद्यमियों व कर्मियों को आने-जाने में तो परेशानी हो रही रही है, सामान बाहर भेजन में भी समस्या हो रही है। गुरुवार को बेला फेज-1 व 2 में हिन्दुस्तान पड़ताल के दौरान उद्यमियों से लेकर फैक्ट्रियों में काम करने वाले कर्मचारियों ने परेशानियां गिनाई।

जलजमाव से जूझ रहीं बेला की 350 फैक्ट्रियां

बेला औद्योगिक क्षेत्र 279. 53 एकड़ में फैला हुआ है। वर्तमान में यहां 350 से अधिक छोटी-बड़ीं फैक्ट्रियां संचालित हो रही हैं। फेज-वन में दो सौ और फेज दो में 150 से अधिक फैक्ट्रियां चल रही हैं। बियाडा के नॉर्थ बिहार के अध्यक्ष शिवनाथ प्रसाद गुप्ता ने बताया कि इतने बड़े औद्योगिक क्षेत्र में सरकार की ओर से कोई बेहतर व्यवस्था नहीं की गयी है। हर साल बरसात के समय फैक्ट्रियां चलाने में परेशानी होती है। कई बार इसकी शिकायत स्थानीय प्रशासन से लेकर राज्य और केन्द्र सरकार से की गयी। लेकिन, कोई जवाब नहीं मिला। इस कारण उद्यमी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। कहा कि करीब 25 हजार कर्मचारियों की जीविका यहां से चलती है। बेला औद्योगिक क्षेत्र से 18 करोड़ से अधिक का बिजली बिल प्रति माह जमा होता है। 10 करोड़ से ऊपर का टैक्स एक वर्ष यहां के उद्यमी जमा करते हैं। इसके बावजूद सुविधा नदारद हैं।

फेज वन के उद्यमी ताराशंकर प्रसाद ने बताया कि बरसात में जलजमाव के कारण नाला और सड़क एक हो गया है। एक ओर कोरोना संक्रमण का भय तो दूसरी ओर प्रदूषित पानी से अन्य संक्रमण की चिंता उन्हें हमेशा सताती रहती है। फैक्ट्री के कई कर्मचारियों के पैर में इंफेक्शन हो गया है। इधर, जिला औद्योगिक क्षेत्र का कार्यालय चौतरफा जलजमाम से टापू में तब्दील हो गया है। इससे कर्मचारियों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।

Input : Hindustan

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