आप सही में राजनीति के ब्रह्म बाबा ही थे,रघुवंश बाबु।

कहते है न कि कोई भी पुजा कीजिये जब तक ब्रह्म बाबा को नही पूजियेगा, आपकी पूजा सफल नही होगी।

2006-07 की बात होगी,पहली बार टीवी पर लोकसभा की कार्यवाही देख रहा था।मन में यही लालशा थी के देखते है संसद में नेता लोग क्या बोलते है..लगभग आधे घण्टे तक बहस देखता रहा कई संसद आये बोले कुछ पता ही नही चला।सब अपने अपने अपने निजी समस्या और पार्टी बयान से जुड़ें बात रख रहे थे और हल्ला कर रहे थे।

मैं अब चैनल चेंज ही करने वाला था कि लोकसभा अध्यक्ष ने नाम पुकारा बिहार के वैशाली के सांसद रंघुवंश सिंह अपनी बात रखेंगे।

मैं बिहार का नाम सुनते रुक गया ,सोचा अपने बिहार के नेता की भी सुन लू। जब रंघुवंश बाबु ने बोलना शुरू किया तो मैं सन्न रह गया,मैं क्या पूरा संसद खामोश हो गया कि ऐसे भी कोई बोलता वही भी अपने गठबंधन के सरकार में,अब तो ऐसे नही होता है साहब।

क्या दूरदर्शी सोच थी उस व्यक्ति की।उन्होंने संसद में उस समय कहा की देश मे किसानों और गरीबों का विकास तब तक नही हो सकता जब तक हर पंचायत में एक बैंक शाखा न हो और एक एक लोगो को उससे जोड़ न दिया जाए।
डीबीटी जैसे ऐतिहासिक कदम की संकल्पना करने वाले व्यक्ति रंघुवंश बाबु ही थे।

वो अलग बात है कि उस समय की सरकार इस बात को गंभीरता से नही ले सकी, मगर आज की सरकार उनके इस सलाह को माना। असल में रघुवंश बाबू के जीवन के देखे तो उनके हर बात में समाज मे अंतिम पंक्ति में खड़े लोगो की बात होती थी।वो हमेशा पार्टी,जाती, धर्म से परे लोगो के जनमुद्दे की बात किया करते थे।

ऐसा नेता अब कहां मिलेगा साहब जो विद्वता और जमीनी हकीकत के साथ अपनी बात संसद में रखता था, वह भी तार्किक रूप से।

जब आप देश के गरीब मजदूर को समर्पित योजना और देश की रीढ़ माने जाने वाली योजना मनरेगा के बारे में जानेंगे तो पता चलेगा उस योजना के बहुत बड़े सूत्रधार थे रंघुवंश बाबु।

रंघुवंश बाबु बिहार और खासकर वैशाली और मुज़फ़्फ़रपुर की धरती आपके उस कार्य को कभी नही भूल सकता जो आपने ग्रामीण विकास मंत्री रहने के दौरान जो आपने उस बिहार की गड्ढे भरे रोड की हेमामालिन का गाल बना दिया।
आज भी वह सड़के किनारे में लगा बोर्ड में लिखा कि वैशाली की धरती पर आपका स्वागत है ऐतिहासिक गवाही दे रहा है।

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क्या क्या गिनाऊ बाबा के काम के बारे में,सैंकड़ों आलेख कम पड़ जाएंगे।

आपने विश्व के पहले लोकतंत्र वैशाली के पहचान के लिए क्या क्या नही किया।बाबा आपको पता था कि आप अब ज्यादा दिन नही रह पाएंगे।इसलिए जाते जाते भी अपने पहले लोकतंत्र वैशाली की पहचान के लिए आपने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपनी कई मांगे रख दी।

यही तो होता है बाबा असली नेता की पहचान जो विपक्ष में रहते हुए भी सत्ता पक्ष से एक सकारात्मक मांग करे। हमें भी आशा है बाबा की आपकी इस जनाकांक्षित मांग को मुख्यमंत्री जी जरूर पूरा करेंगे।

हमारे संस्कृति में कहा जाता है कि व्यक्ति जाते जाते अपने लिए मांगता है मगर बाबा आपने तो पूरे राष्ट्र की पहचान मांग कर हम सबको रुला दिया।मरते वक्त भी आप सिर्फ बिहार के लिए लिखते रहे वह भी अपने हाथों से।
बाबा आपने तो वो काम कर दिया जिसे संग्रहालय में ही जगह दिया सकता है।मैं बिहार सरकार से अनुरोध करूँगा की बाबा की जो भी चिठ्ठी और संदर्भ अभी बिहार को लेकर लिखी गई है उसे संग्रहालय में सुरक्षित सम्मान दिया जाए।

बाबा आपकी राजनीति शिष्टाचार और व्यवहारिकता को जगह देने के लिए तो गिनीज बुक रिकॉर्ड भी कम पर जाए। आज भी जहां लोग सोसल मीडिया पर एक दूसरे को गलियाते है और अपनी बात रखकर झूठी संवेदना लेते हैं।

वही पिछले दिन पूरे देश ने देखा कि आपने किस तरह शिष्टाचार पूर्वक एक चिठ्ठी लिख जो कि राजीनीति और कार्यपालिका की संवैधानिक शैली माना जाता है उसमें आपने राजीनीति मित्र लालू जी को लिखी और एक राज्य हित के लिए राज्य के आलाकमान को।

बाबा आप कभी डरे नही जो आपको अच्छा लगा,आपने सबसे कहा और यही चीज आपको राजीनीति का ब्रह्मा बाबा बना दिया।

बाबा आप बिहार राजनीति के पितामह थे और रहेंगे।बाबा आपको ये बिहार कभी नही भूल सकता। बस आज के नेताओ से इतनी सी गुजारिश है कि जिस तरह सर्वसामाज और सर्वपार्टी के लोकप्रिय नेता हमारे बाबा की ही तरह आपलोग भी बने। ताकि आपके लिए भी ऐसा लिखा जाए और कहा जाए।

बस बाबा ऊपर जाते है बिहार की वर्तमान स्थिति और राजनीति को माफ कर देना जिसकी चिंता चिंता करते करते आप स्वर्ग को चले गए।

कहना उस प्रभु की हमारे बिहार के नेताओ को सद्बुद्धि दे ताकि हमारा बिहार आगे बढ़ सके और तुम ऐसा करोगे बाबा मुझे पता है क्योंकि आपकी आत्मा सिर्फ बिहार और देश के लिए जीती थी।

आपसे कभी मिल न सका लेकिन आपके एक एक कार्य को सीने में लगाये बैठा हूँ और मैं ही नही पूरा बिहार आपके नाम और काम को जानता है बाबा।

इसी श्रद्धासुमन और श्रद्धांजलि के साथ आपही के बिहार और आपके मुज़फ़्फ़रपुर का एक छोटा सा लेखक.. संत राज़ बिहारी पूरे बिहार के श्रद्धामयी आंसुओ के साथ सत सत नमन करता है।

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