लगाए जा रहे अटकलों को समाप्त करते हुए गुप्तेश्वर पांडे ने अपने पद से वीआरएस का प्रयोग करते हुए इस्तीफा दे दिया। और 24 घंटे के अंदर ही उनके इस्तीफे को मंजूर भी कर ली गई। पुलिस महानिदेशक के तौर पर गुप्तेश्वर पांडे जी का कार्यकाल बस 5 महीने का ही बच गया था, वीआरएस से उन्होने सेवानिवृति ले ली।

वीआरएस क्या होती है

स्वैच्छिक सेवानिवृति योजना (voluntary retirement scheme) अर्थात वीआरएस का सम्बन्ध प्रमुख रूप से कर्मचारियों से होता है। यह सभी संस्थाओं पर लागू होता है सरकारी हो या फिर गैर – सरकारी।

ऐसे होती है वीआरएस के लिए आवेदन

• एक कर्मचारी जो 50 साल की आयु का हो गया हो या जिसने 20 साल की सेवा समाप्त कर ली है वह वीआरएस लेने के पात्र होंगे।

• इसके बाद फिर वो वीआरएस लेने के लिए, सबसे पहले नियुक्ति प्राधिकारी को प्रत्यक्ष रूप से एक नोटिस लिखकर 3 महीने पहले भेज देंगा ।

• फिर वीआरएस के लिए दी गई नोटिस नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा 3 महीने की नोटिस की एफडी प्राप्त होने के तिथि से गणना की जाएगी।

नोट : गुप्तेश्वर पांडे ने वीआरएस का फैसला रातोरात लिया और नियुक्त अधिकारी द्वारा उनके वीआरएस को मंजूरी भी 24 घंटे के अंदर ही दे दी गई। आलोचकों का कहना है, कि जहां वीआरएस के मसले पर सुनवाई हेतु औसतन तीन महीने लगती है, वहीं डीजीपी के इस्तीफे को 24 घंटे में ही मंजूरी मिल गई‌। जैसे सुशांत सिंह राजपूत के मामलों को रातोंरात सीबीआई को सौंप देना।

स्वैच्छिक सेवानिवृति ले चुके गुप्तेश्वर पांडे चुनाव लड़ने का मन तो पहले ही बना चुके है, दिखना दिलचस्प होगा कि वे चुनाव कहां से लड़ते हैं!

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