अपने मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी के लोगों की सबसे बड़ी पीड़ा अभी जलजमाव की समस्या है। जलजमाव की समस्या से शहर के पॉश इलाका मिठनपुरा हो या स्लम बस्ती का कोई इलाका अछूता नहीं है। शहर के आनंदपुरी के लोग तो चार से पांच महीने तक सड़े हुए पानी के बीच पीड़ादायक जिंदगी काट रहे हैं। लाखों रुपए हर साल नाला सफाई के नाम पर फूंका जा रहा है। इसके बावजूद घंटे भर की बारिश में शहर डूब जा रहा है। शहर डूबने के बाद लाखों रुपए का डीजल पानी निकालने के नाम पर हर साल बहा दिया जा रहा है। अब यह उठता है कि आखिर क्यों हर बारिश में शहर डूबता है? आइए जानते हैं हर बारिश में शहर के डूबने की वजह और उसके निराकरण की व्यवस्था के बारे में जानते
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…देखिए हर बारिश में शहर के डूबने का कोई एक वजह नहीं है। इसके लिए किसी एक एजेंसी अथवा विभाग को भी जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता। शहर डूबने के लिए निगम प्रशासन के साथ रेलवे, एनएचएआई, पथ निर्माण विभाग, बेतरतीब निर्माण के साथ शहर के भी चंद अतिक्रमणकारी जवाबदेह हैं। शहर की संरचना कटोरेनुमा हैं। यह शहर दो तरफ से नदी से घिरा हैं। जल जमाव के लिए यहां के लोग भी कम दोषी नही है,हाल के वर्षों में शहर में बेतरतीब निर्माण हुआ है। शहर को बसाने बाले /बिल्डिंग डिजाइन करने वालेसाथ साथ शहर के लोग भी जिम्मेवार है। बिना किसी प्लानिग के बड़े -बड़े बिल्डिंग तो बहुत दिखेंगे लेकिन जल प्रबंधन का कोई खाका नहीं मिलेगा। नगर निगम भी नालियां खानापूर्ति के लिये बनवाता है। नाला का डिजाइन देखकर लगेगा ही नहीं की यह जल निकासी के लिये बना है। उसपर से तुर्रा यह कि यहां के लोग उसमें पॉलीथिन और खाली बोतल प्लास्टिक ठूंस कर नाला जाम कर देते है। हर साल बारिश के पहले नगर निगम नाला सफाई के नाम पर लाखों रुपए फूंक रहा है। बावजूद हर साल शहर डूब रहा है। इस समस्या से हर कोई त्रस्त है लेकिन अपनी जिम्मेवारी निभाने में सब ने कोताही की है।इस जल जमाव से तबतक निजात नही मिल सकता जबतक हर आदमी अपने हिस्से के जिम्मेवारी न निभाये। घरो/ बिल्डिंगों का निर्माण एक प्लानिग के तहत हो। जिसमें जलप्रबंधन को भी उचित महत्व मिले। हर बिल्डिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का प्रोविजन हो। नालो का सही मैपिंग हो नालियों का निर्माण योजनाबद्ध तरीके से हो। सभी नालियों का सतह और डिजाइन इस तरह से हो कि पानी तेजी से निकल जाये । छोटी -छोटी नालियों का कनेक्शन मुख्य नाला से हो, एक मुख्य नाला सह चैनल का निर्माण हो।
नालों पर से अतिक्रमण हटाया जाये। कई जगह बिल्डिंग तो बड़ी दिखेगी लेकिन सीढ़ी का निर्माण नाला पर कुछ लोग कर देते है , यह मानसिकता बदलनी होगी।ईमानदारी से समय से नाला की उड़ाही होनी चाहिए। बेबजह उसमें कचरा और पॉलीथिन न ठूंसे लोग इसके लिये जागरूकता फैलाना होगा। शहर के पूर्वी और दक्षिणी छोर पर उच्च गुणवत्ता वाले मोटर युक्त पम्प लगे। सम्प हाउस का निर्माण हो । जिससे शहर में लगने वाले पानी को तेजी से पम्प किया जा सके।कुल मिलाकर समुचित जलप्रबंधन का इंतजाम हो ,इसमे विशेषज्ञों की मदद ली जाये साथ साथ ही सारा कार्य एक नोडल एजेंसी के साथ समय पर किया जाये।
जल जमाव का प्रमुख वजह
– नाला उड़ाही में लापरवाही
– कम समय मे अत्यधिक वर्षा
– शहर का अनियोजित और अनियंत्रित विस्तार
– बगैर प्लानिंग के नाला निर्माण
– नालियों पर अतिक्रमण
– रेलवे कल्वर्ट की उड़ाही नहीं होना
कुछ इस तरह के उपाय से जलजलाव से मिलेगा निजात
– रेलवे के साथ समन्वय कर शहर के सभी रेलवे कल्वर्ट की सफाई
-नाला उड़ाही की वीडियोग्राफी और सफाई के बाद मजिस्ट्रेट से इंक्वायरी
-शहर के ड्रेनेज की मैपिंग और लेबलिंग कराना
-सभी नालियों को एक चैनल के माध्यम से मुख्य ड्रेनेज में जोड़ा जाना
-शहर के पुर्वी और दक्षिणी छोर परउच्च गुणवत्ता वाले पम्प की व्यवस्था, सम्प हाउस का निर्माण
-कचड़ा निस्तारण का समुचित व्यवस्था
जिससे नलियां जाम न होने पाये
– नाला से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई, नाला जाम होने से बचाने के लिए नाला में बेस्टेज फेंकने पर रोक
– रेन वाटर हार्वेस्टिंग योजना को बड़े पैमाना पर लागू किया जाना चाहिए.
-कृत्रिम तालाब एवम झीलों का निर्माण जिसमे अतिरिक्त जल का संग्रहण हो सके
खजाना में 183 करोड़: शहर से पानी निकासी के लिए तीन ड्रेनेज में अब तक एक का ही निर्माण शुरू
मुजफ्फरपुर शहर को जलजमाव से मुक्ति के लिए साढ़े तीन साल से स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज बनाने की कवायद चल रही है। तीन ड्रेनेज व तीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए खजाना में 183. 40 करोड़ है। मार्च 2019 में तत्कालीन नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा शिलान्यास किए। दो साल में काम पूरा करना था। जमीनी हकीकत यह है कि तीन स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज में अब तक दो का तो जमीन भी फाइनल नहीं हो सका। अमृत योजना के तहत मुजफ्फरपुर में 22.40 किलोमीटर ड्रेनेज बनाने के साथ तीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी स्थापित करना है। सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए नाला का पानी प्यूरीफाइड कर निकासी करना है। तीन में महज एक मिठनपुरा – तिरहुत कैनाल ड्रेनेज का निर्माण चल रहा है।
इन तीन ड्रेनेज के रास्ते शहर का निकलना है पानी
1. मिठनपुरा चौक से तिरहुत कैनाल नहर तक-3.2 किलोमीटर ( काम शुरू है)सनशाइन स्कूल- मालगोदाम चौक -आईडीपीएल- बेला इंडस्ट्रियल चौक -दुर्गा माता मंदिर-तिरहुत कैनाल नहर तक
2. कल्याणी से खबड़ा फरदो नाला तक-5.92 किलोमीटर (अब तक नहीं हुआ शुरू) कल्याणी मछली बाजार -अयोध्या साह लेन- कल्याणी बाटा के पीछे से रेलवे क्रॉसिंग होते कलमबाग चौक-स्पीकर चौक -छाता चौक- दामू चौक- एनएच 28 खबड़ा होते फरदो नाला
3. सिकंदरपुर से मनिका तक-9.15 किलोमीटर (अब नहीं हुआ शुरू)-सिकंदरपुर स्लुइस गेट- लकड़ी ढाही चौक -मारवाड़ी स्कूल- नवाब रोड- जेल चौक- लेप्रोसी मिशन हॉस्पिटल से मुशहरी मनिका तक
जल जमाव से इन सड़कों की स्थिति खतरनाक
-भगवानपुर फ्लाईओवर के नीचे एक लेन
-भामाशाह द्वार से एनएच 28
-बीबीगंज रेलवे गुमटी, गणपति नगर
-गौशाला रोड, हाथी चौक
-मेयर के आवास से सटे (सिकंदरपुर रोड)
-राहुल नगर,चांदनी चौक
-महेश भगत बनवारी लाल कॉलेज रोड
डिप्टी सीएम के हस्तक्षेप के बाद भी जलजमाव से नहीं मिली मुक्ति
शहर को जलजमाव की समस्या से निजात दिलाने के लिए बैठक दर बैठक के बावजूद शहर को लाभ नहीं हुआ। डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद शहर को डूबने से बचाने के लिए 17 फरवरी को मुजफ्फरपुर में निगम, एनएचएआई व रेलवे के तमाम अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय समीक्षा की। माड़ीपुर-बीबीगंज इलाके को जलजमाव से मुक्ति के लिए दोनों तरफ कच्चा नाला बनाने व शहर के सभी रेलवे कल्वर्ट की सफाई की साथ कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। धर्मशाला चौक ,कटही पूल, माल गोदाम, पांडे गली, सादपुरा रेलवे गुमटी रेलवे कल्वर्ट का क्षमता काफी कम रहने से पानी निकासी की समस्या को देखते हुए रेलवे व निगम को संयुक्त रूप से पहल करने का फैसला लिया गया। इनमें से केवल रामदयालु व माड़ीपुर में कच्चा नाला बनाने की कवायद के सिवाय जिसका कोई काम नहीं हुआ। जिसकी वजह से इस बार फिर शहर डूबा।
हाइलाइटर
– 131.17 किलोमीटर- निगम क्षेत्र में नालियों की लंबाई
-9.36 किलोमीटर -पक्का कवर ड्रेन 9.36 ,पक्का -116.55 किलोमिटर ओपन ड्रेन
-11. 26 किलोमीटर कच्चा ओपन ड्रेन
Courtesy : Brajeshwar Thakur