साइंस एंड टेक्नोलॉजी में दिलचस्पी रखने वाले जिले के बच्चों के लिए खुशखबरी है। अब शहर के जिला स्कूल में टिंकरिंग लैब स्थापित होगा। अब बच्चे रोबोटिक्स से लेकर सॉफ्टवेयर और अन्य यंत्रों की सहायता से क्रिएटिविटी को मूर्त रूप देंगे। जूनियर साइंटिस्ट ट्रेनिंग हासिल कर नए उपकरण भी ईजाद करेंगे। इसके लिए जिला शिक्षा विभाग की ओर से संस्थान का चयन कर बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर को उपलब्ध करा दिया गया है। मामले को लेकर परिषद की ओर से डीईओ से जिले के एक प्लस-टू स्तरीय स्कूल में टिंकरिंग लैब स्थापित करने का प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया गया था। वार्षिक कार्य योजना एवं बजट 2020-21 के तहत हर जिले से एक उच्च माध्यमिक स्कूल में टिंकरिंग लैब की स्थापना का प्रस्ताव मांगा गया था। इसके लिए स्कूल में 1500 वर्गफीट से अधिक बिल्टअप स्पेश होना अनिवार्य शर्त था। साथ ही कैंपस में शौचालय, बिजली और पानी की सुविधा होना भी जरूरी माना गया था। समग्र शिक्षा अभियान के डीपीओ अमरेंद्र पांडेय ने बताया कि टिंकरिंग लैब स्थापित करने के लिए जिला स्कूल का प्रस्ताव भेजा गया है।
ये होंगे फायदे
- प्रैक्टिकल आधारित नॉलेज पर होगा फोकस
- इनोवेशन के नए-नए तरीकों से सीखने की क्षमता बढ़ेगी
- स्टूडेंट्स को साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग से लेकर गणित के विभिन्न पहलुओं को डिवाइस की सहायता से समझने में मदद मिलेगी।
- डिवाइस की मदद से बच्चे क्रिएटिव प्रोडक्ट डिजाइन करना सीखेंगे।
इन सुविधाओं से लैस किया जाएगा सेंटर
लैब में आईआर सेंसर, थ्रीडी प्रिंटर्स, अल्ट्रासॉनिक सेंसर, रोबोटिक्स, माइक्रो कंट्रोलर बोर्ड, कंप्यूटर्स, साइंस व इलेक्ट्रॉनिक्स के डिवाइस इंस्टॉल होंगे। इससे बच्चों में इनोवेशन की क्षमता बढ़ेगी। 10 लाख रुपए लैब को शुरू करने के लिए और बाकी रख-रखाव के लिए 5 लाख की राशि दी जा सकती है।
Input : Dainik Bhaskar