जीभ का सेहत से गहरा संबंध है। डॉक्टर भी जीभ देखकर पता लगाता है कि इंसान बीमार है या नहीं। जीभ का रंग बहुत कुछ कहता है। यूं तो जीभ का स्वाभाविक रंग गुलाबी होता है, लेकिन यह काली हो सकती है और सफेद भी। www.myupchar.com से जुड़ीं एम्स की डॉ. वी.के. राजलक्ष्मी के अनुसार, जीभ काली या सफेद होना मुंह की समस्या है। आमतौर पर बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण ऐसा होता है। अधिकांश मामलों में जीभ से जुड़ी दो ही समस्याएं सामने आती हैं। पहली – जीभ का रंग बदलना और दूसरा – छाले। दोनों ही समस्याएं लंबे समय तक बनी रहें तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
जानिए क्यों काली हो जाती जीभ
डॉ. वी.के. राजलक्ष्मी बताती हैं कि जीभ का काला होना कोई बड़ी समस्या नहीं है। बैक्टीरिया के कारण जीभ पर छोटे-छोटे रोएं बनते हैं, जो धीरे-धीरे काले पड़ने लगते हैं। इसकी शुरुआत काले धब्बों से होती है जो फैलते जाते हैं। जीभ काली होने पर मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है। गले में ऐसा महसूस होता है जैसे कुछ फंस गया हो। आमतौर पर डॉक्टर खान-पान में बदलाव करते हैं। स्मोकिंग छोड़ने की सलाह देते हैं। नरम टूथब्रश का उपयोग करने के लिए कहा जाता है। मुंह, दांत और जीभ की नियमित सफाई की जाए तो जीभ सामान्य हो सकती है, लेकिन दो हफ्तों से ज्यादा समय तक यह स्थिति बनी रहे तो डॉक्टर को दिखाएं।
सफेद जीभ का कारण भी होते हैं बैक्टीरिया
सफेद जीभ के पीछे भी बैक्टीरिया का संक्रमण ही है। जीभ पर सफेद दाने उठने से इसका रंग सफेद हो जाता है। इन दानों को डॉक्टरों की भाषा में पैपिली कहा जाता है। इनके कारण मुंह का दर्द भी अनुभव हो सकता है। यदि जीभ पर सफेद धब्बे दो हफ्तों से ज्यादा समय तक रहें जो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इस समस्या का इलाज भी जीभ की सामान्य देखभाल ही है।
ऐसे रखें जीभ का ख्याल
जीभ पर डेड स्किन सेल्स यानी मृत त्वचा कोशिकाओं के कारण भी काला या सफेद रंग बनता है। यह डेड स्किन सेल्स ज्यादा पानी पीने से साफ हो जाती हैं, या जो लोग सख्त चीजें खाते हैं, उनकी भी ये सेल्स खत्म होती जाती हैं। पर्याप्त मात्रा में लार नहीं बनने से ये सेल्स जीभ पर जमी रहती हैं। जो लोग तंबाकू का ज्यादा सेवन करते हैं, उनमें जीभ संबंधी परेशानियां रहती हैं।
नियमित समय पर टूथब्रश बदलें। टूथब्रश नरम होना चाहिए। सुबह और रात में सोने से पहले अनिवार्य रूप से ब्रश करें। माउथवॉश का उपयोग भी जीभ की बीमारियों को दूर रखता है। जीभ को टंग स्क्रैपर से धीरे-धीरे साफ करना भी सही उपाय है।
बोलने, चबाने या निगलने में कोई समस्या आ रही है तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। आयुर्वेद में नारियल का दूध जीभ के लिए अच्छा बताया गया है। नारियल के दूध में शहर मिलाकर जीभ पर मसाज करने से छालों से मुक्ति मिलती है। इसी तरह एलोवेरा, तुलसी, अदरक और हल्दी का उपयोग किया जा सकता है।