देवघर से लगभग 35 किलोमीटर दूर मधुपुर रलवे स्टेशन के समीप स्थित मिशन द्वारा संचालित कार्मेल स्कूल की तीनमंजिली इमारत गुरुवार को भर-भराकर मलबे के ढेर में तब्दील हो गया। मलबा भी ऐेसा कि एक ईंट भी साबूत नहीं दिख रहा था।

संयोग यह था कि परीक्षा होने के बाद यह विद्यालय आगामी 15 मार्च तक बंद था और 16 को रिजल्ट निकलने वाला था। करीब 1100 छात्रों की संख्या वाला यह विद्यालय अगर खुला होता तो सैकड़ो की संख्या में छात्र भी मलबे के साथ जमीन्दोज हो गए रहते। बताया जाता है कि यह विद्यालय छह दशक से भी अधिक पुराना है। विद्यालय भवन के एक मंजिले इमारत का निर्माण छह दशक पूर्व तब कराया गया था जब छात्रों की संख्या काफी कम थी। उस वक्त निर्माण के समय विद्यालय भवन की नींव एक मंजिले इमारत के अनुसार ही रखी गई थी पर कालांतर में बिना नींव की मजबूती की जांच किए बिना पहले से बने एक मंजिले इमारत के उपर दूसरी और बाद में तीसरी मंजिल का निर्माण करा दिया गया।

गौरतलब है कि कुव्यवस्था और प्रति वर्ष बेतहाशा फीस वृद्धि के कारण यह मिशन स्कूल पूर्व से ही चर्चा में रहा है और यहां पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक फीस वृद्धि के कारण 2015 से ही आंदोलन कर रहे हैं। सीआईएससीएस से मान्यता प्राप्त इस विद्यालय में प्राइमरी से 10वीं तक की पढ़ाई होती है। पूर्व में फीस वृद्धि के मामले को लेकर जब अभिाभवक आंदोलनरत हुए तो 29 अप्रैल 2015 को देवघर के तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी शशि प्रकाश मिश्रा ने स्कूल में जाकर प्राचार्य सिस्टर पुष्पा से पिछले एक दशक से इस स्कूल की फीस संरचना की जानकारी ली थी।

 

आज हुई इस घटना के बाद देवघर से पहुंचे प्रशासन के आलाधिकारियों ने स्कूल को अगले आदेश तक बंद रखने के आदेश के साथ निर्माण में हुई अनियमियतता के जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।

ऐसा नहीं कि ऐसा मामला सिर्फ देवघर में हुआ है। बिहार की राजधानी पटना सहित पूरे राज्य में कुकुरमूत्ते के की तरह उग आए कई प्राईवेट स्कूल भवनों के निर्माण में निर्माण की गुणवत्ता के बदले अभिभावकों के आर्थिक दोहन पर ही बल दिया जाता रहा है। खासकर पटना के न्यू बाइपास सहित कई स्थानों पर सीबीएससी और सीआईएससीएस से मान्यता प्राप्त स्कूल के नाम पर आर्थिक दोहन कर रहे विद्यालयों में भी मधुपुर कांड की पुनरावृति हो सकती है।

बिहार सरकार और शिक्षा विभाग को चाहिए कि वह राजधानी और पूरे राज्य में स्थित नीजी स्कूल भ्वनों की गुणवत की जांच एक कमेटी बनाकर करे अन्यथा झारखंड जैसा कलंक बिहार के माथे पर भी लग सकता है।

Input : Khabar Manthan

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