राज्य की समस्याओं पर शायद ही आपने कभी उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को बोलते सुना होगा। उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी अक्सर लालू परिवार को आईना दिखाते ही नजर आते हैं। एक तरफ जहां पलायन की पीड़ा और सरकार की ढुलमुल रवैये से कष्ट एवं मानसिक पीड़ा झेलकर प्रवासी बिहारीयों की मार्मिक छवि भूलाये नहीं भूलती। दूसरी ओर उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी नाकामी को सोने का तमगा जैसा बताने की पुरजोड़ कोशिश कर रहे हैं। इसी सब के बीच सुशील मोदी ने पुन: दावा किया है, कि बिहार के हर गरीब को कोरोना काल में 3 से 4 हजार रुपये की आर्थिक मदद मिली है। मोदी ने कहा है कि बिहार में ऐसा कोई गरीब नहीं, जिसके खाते में 3 हजार से 4 हजार नहीं भेजे गए।
भले ही केन्द्र सरकार के पास कोविड – 19 के दौर में पलायन करनेवाले नागरिकों की जानकारी उपलब्ध नहीं हो, लेकिन भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने आंकड़े बताते हुए कहा है कि बिहार की 2.38 करोड़ महिलाओं के खाते में 3545 करोड़ और 1.60 करोड़ राशनकार्डधारियों के खाते में भेजे गए 1600 करोड़ रुपए भेजे गए हैं। सुशील मोदी ने कहा है कि कोरोना काल में गरीबों की मदद के लिए बिहार सरकार ने जो कुछ किया है, वह अभूतपूर्व है।
पुरे कोविड – 19 के समय लालू परिवार पर तंज और समाजिक दूरी बनाकर कानून के नियमों का पालन कर रहे उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी रोज नए – नए दावे कर रहे हैं।
बिहार में गरीबों की स्थिति कोरोना काल के अंदर बदतर हुई है।बाहर से आए मजदूर रोजगार की तलाश में भटकते रहे हैं और उनकी नाराजगी भी समय-समय पर सामने आती रही है। ऐसे में सुशील कुमार मोदी का यह दावा कि हर गरीब को तीन से 4000 की मदद दी गई। विरोधियों को हजम नहीं होने वाला है, यह बात बिल्कुल तय है कि सुशील मोदी के इस बयान पर विपक्ष अपनी घेराबंदी तेज करेगा।
सुशील मोदी ने कहा कि राज्य के 13.68 लाख निर्माण मजदूरों के खाते में प्रति मजदूर 2-2 हजार रुपये डीबीटी के जरिए भेजने के मौके पर कहा कि इसके पूर्व कोरोना संकट के दौरान बिहार की 2.38 करोड़ महिलाओं के जनधन खाते में प्रति खाते 1500 की दर से 3,545 करोड़ रुपये और 1.60 करोड़ राशनकार्डधारियों के खाते में एक-एक हजार रुपये की दर से 1,600 करोड़ रुपये भेजे गए हैं।
Input : First Bihar