नवरात्रि के दूसरे दिन देवी दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा होती है जो मनुष्यक के भीतर तप और संघर्ष का बल उत्प न्नप करने में सहायक होती हैं।
तप का बल देने वाली देवी
पंडित दीपक पांडे के अनुसार मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी भक्तों और साधकों को अनन्तफल देने वाला माना जाता है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। मान्यंता है कि मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन इन्हीं के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्था्पित होता है। इस चक्र में अवस्थित मनवाला योगी समान बन कर माता की कृपा और भक्ति का आर्शिवाद प्राप्त करता है।
विवाह सुनिश्चित हो चुकी कन्यार का पूजन करें
बहुत से लोग नवरात्रि में हर दिन कन्याा भोज करते हैं। ऐसे लेग इस दिन कन्याओं का पूजन करते समय याद रखें कि जो कुमारिका भोजन करें उनका विवाह तय हो गया हो लेकिन शादी हुई ना हो। इन कन्याकओं को पूजन के बाद भोजन करायें और वस्त्र, पात्र आदि भेंट करें।
तपस्व्नी हैं ब्रह्मचारिणी
माता ब्रह्मचारिणी पर्वतराज हिमालय और मैना की पुत्री हैं। इन्होंने देवर्षि नारद जी के कहने पर भगवान शंकर की कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने इन्हें मनोवांछित वरदान दिया और ये शिव की पत्नी बनीं। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति अध्यात्म और आत्मिक आनंद की कामना रखते हैं उन्हें ब्रह्मचारिणी की पूजा से यह सब अवश्यक प्राप्त होता है। इनकी पूजा करने वाले की इंद्रियां नियंत्रण में रहती हैं और वो मोक्ष का भागी बनता है। श्रद्धा के साथ नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से सुख, आरोग्य और प्रसन्नता की प्राप्तिच होती है। साथ ही माता के भक्त हर प्रकार के भय से मुक्तर हो जाते हैं।