PATNA : बिहार में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर से सीएम नीतीश और बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर करारा हमला बोला है. सरकार पर हमलावर तेजस्वी ने कहा कि नीतीश कुमार और सुशील मोदी ने 15 सालों में बिहार की शिक्षा व्यवस्था ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था को भी आईसीयू में पहुंचा दिया है. केंद्र सरकार की रिपोर्ट और मानक संस्थानों की जांच में बिहार सबसे फिसड्डी है.
तेजस्वी यादव ने कोरोना संकट के बीच एक बार फिर से बिहार में डॉक्टरों की कमी को लेकर सवाल खड़ा किया है. तेजस्वी ने कहा की स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से तय मानक प्रति हज़ार आबादी पर स्वास्थ्य केंद्र में बिहार सबसे आखिरी पायदान पर है. बिहार में डॉक्टर मरीज अनुपात पूरे देश में सबसे ख़राब है. जहां विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियमों अनुसार प्रति एक हज़ार आबादी एक डॉक्टर होना चाहिए (1 :1000 ) बिहार में ये 1:3207 है.
Nitish Ji tried all his shrewd tactics to prove & influence that Bihar doesn’t have a COVID problem. Since beiginng I hv been asking how many tests are we doing daily?
But when we started testing >7000 tests per day, see below what we found👇. Bihar must test 30K ppl per day. pic.twitter.com/Rpw27v4g6R
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) July 12, 2020
बिहार के ग्रामीणों इलाकों के हालात के बारे में भी तेजस्वी ने आज सवाल उठाया. उन्होंने यहां तक कह दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति और भी दयनीय है. गांव में 17685 व्यक्ति पर महज 1 डॉक्टर बिहार में है. आर्थिक उदारीकरण के 15 सालों में नीतीश सरकार ने इस दिशा में क्या कार्य किया है यह सरकारी आंकड़े बता रहे हैं. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की ओर से जारी की गई रिपोर्ट कार्ड में पिछले 15 सालों में बिहार का सबसे ख़राब प्रदर्शन रहा है. बिहार को जो राशि आवंटित हुई उसका सरकार आधा भी खर्च नहीं कर पाई है. कुपोषण भी सबसे अधिक बिहार में है.
एसी कमरे में बैठकर न तो कोरोना का मूल्यांकन किया जा सकता है और न ही कोरोना से बचाव में स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये जा रहे कार्यों की समीक्षा। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव हैं कि इस मामले में झूठा बयान देकर लोगों को बरगलाने की असफल कोशिश कर रहे हैं,
— Mangal Pandey (@mangalpandeybjp) July 12, 2020
राज्य सरकार के साथ-साथ तेजस्वी ने केंद्र पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि आयुषमान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत सबसे ख़राब प्रदर्शन बिहार का रहा है, जिसके वजह से केंद्र सरकार ने एक भी पैसा इस साल आवंटित नहीं किया है. अभी तक 75 % आबादी का इ-कार्ड नहीं बन पाया है. चाहे नीति आयोग की रिपोर्ट हो या राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसे संस्थानों के सारे मानकों पर बिहार नीतीश राज के 15 सालों में साल-दर -साल फिसड्डी होते चला गया. ऐसा होना भी लाज़िमी है. जिस प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी के स्वास्थ्य चिंता हो उसे प्रदेश वासियों के स्वास्थ्य की चिंता क्यों होगी ?
Input : First Bihar