एक कहावत है, जिनके घर शीशे के होते हैं, वो दूसरो के घर पत्थर नहीं मारते. दागियों के मुद्दे पर बिहार की सियासत में हर सियासी दलों (Political parties) की स्थिति ऐसी ही है. इस मुद्दे पर कोई सियासी दल अगर दूसरे पर उंगली उठाता है, तो दरअसल वो खुद पर ही उंगली उठा रहा होता है. क्योंकि सियासत के इस हमाम में सभी नंगे हैं. यही वजह है कि सारे दल इस मुद्दे पर खामोश ही रहते हैं और दागियों को गले लगाते रहते हैं. लेकिन इन दिनों नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) नीतीश सरकार में दागी मंत्री को लेकर खूब सवाल उछाल रहे हैं. यहां तक कि सदन में स्पीकर की ओर से तथ्य पेश करने के निर्देश पर शुक्रवार को तेजस्वी बड़े तामझाम के साथ एडीआर (ADR) की रिपोर्ट लेकर पहुंच गए और सरकार के 64 फीसदी मंत्रियों को दागी बताने लगे.

तेजस्वी ने रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखते हुए सदन की कार्यवाही का हिस्सा बनाने की मांग की. हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने इसे ये कहते हुए तवज्जो नहीं दिया कि ये पहले से ही पब्लिक डोमेन में है और इसमें कुछ नया नहीं है. यहां तक कि स्पीकर ने कहा कि एडीआर रिपोर्ट में खुद उनपर भी आचार संहिता उल्लंघन के एक केस का ब्यौरा होगा. ये सही है कि एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार में शामिल 18 मंत्रियों यानी 64 प्रतिशत के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. 18 में 14 मंत्रियों यानी 50 प्रतिशत के खिलाफ गंभीर आपराधिक दर्ज हैं. लेकिन जिस एडीआर की रिपोर्ट सदन में उछालते हुए तेजस्वी मंत्रियों को दागी बताकर सरकार पर सवाल उठा रहे थे. उस एडीआर की रिपोर्ट आरजेडी के कितने विधायक दागी हैं? तेजस्वी को फिर ये भी बताना चाहिए. सवाल अगर दागियों का ही है, तो फिर सबसे पहले उन्हें खुद इस्तीफा देना चाहिए. क्योंकि उन पर भी कई मामले दर्ज हैं, जिनमें आपराधिक षड्यंत्र रचने जैसे गंभीर आरोप भी हैं.

58 प्रतिशत पर गंभीर आपराधिक मामले हैं
इस हिसाब से तो विधानसभा में जीतकर पहुंचे आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 168 विधायकों को इस्तीफा दे देना चाहिए. और सबसे ज्यादा दागी तो आरजेडी में ही है. RJD के 74 में से 54 यानी 73 प्रतिशत विधायक पर आपराधिक मामले हैं, जिसमें साठ प्रतिशत विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं BJP के 73 में से 47 यानी 64 प्रतिशत) विधायक पर आपराधिक मामले दर्ज है, जिनमें 48 प्रतिशत विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. बात जेडीयू की करें तो JDU के 43 में से 20 यानी 47 प्रतिशत विधायक पर आपराधिक मामले हैं, जिसमें 26 प्रतिशत विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले हैं. बात कांग्रेस की करें तो कांग्रेस के 19 में से 16 यानी 84 प्रतिशत विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. जबकि 58 प्रतिशत पर गंभीर आपराधिक मामले हैं.

कुछ ऐसा ही हाल CPIML का भी है जिसके 12 में से 10 यानी 83 प्रतिशत विधायक दागी हैं और 67 प्रतिशत विधाकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. यानी दागी दोनों तरफ हैं. पर तुलना करें तो तेजस्वी यादव की पार्टी के दाग सत्ता पक्ष की पार्टियों से ज्यादा गहरा है. यही नहीं आरजेडी में तो कुछ ऐसे चेहरे हैं जिनके बाहुबल की चर्चा सिर्फ बिहार ही नहीं पूरे देश में होती है. जैसे मोकामा के विधायक अनंत सिंह जो हत्या, अपहरण जैसे कई आपराधिक मामले में आरोपी हैं. दानापुर से आरजेडी विधायक रीतलाल यादव जिनपर हत्या, हत्या की कोशिश, रंगदारी जैसे संगीन मामले में दर्ज हैं. राजवल्लभ यादव जो नाबालिग से रेप मामले में सजायाफ्ता हैं. जिनकी उनकी पत्नी आरजेडी विधायक हैं.

वरना यही कहा जाएगा अपने दाग अच्छे हैं
आरजेडी के पूर्व विधायक अरुण यादव नाबालिग से रेप के मामले में फरार चल रहे हैं, जिनकी पत्नी किरण देवी संदेश से आरजेडी की विधायक हैं. वैशाली के पूर्व सांसद रामा सिंह की गिनती बिहार के बाहुबलियों में होती है, जिनकी पत्नी को आरजेडी ने टिकट दिया और वो महनार से आरजेडी विधायक हैं. डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में सजायाफ्ता आनंद मोहन की पत्नी और बेटा दोनों आरजेडी में ही हैं. आनंद मोहन के बेटे शिवहर से आरजेडी के विधायक भी हैं. मतलब दाग सबके हैं, और आरजेडी जहां दागियों की भरमार है अगर उनके नेता तेजस्वी यादव, दागियों का सवाल उठाते हैं, तो पहले उन्हें अपने घर से दागियों को हटाकर मिसाल पेश करना चाहिए. वरना यही कहा जाएगा अपने दाग अच्छे हैं.

(डिस्क्लेमरः ये News18 लेखक के निजी विचार हैं.)

Muzaffarpur Now – Bihar’s foremost media network, owned by Muzaffarpur Now Brandcom (OPC) PVT LTD