तिरहुत क्षेत्र के दिग्ग्ज नेता और पूर्व मंत्री हिंद केसरी यादव का शुक्रवार को निधन हो गया। वे काफी समय से बीमार चल रहे थे। इलाज के दौरान आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके भतीजा और भाजपा के युवा नेता भारत रत्न यादव ने बताया कि कुछ समय से बीमार चल रहे थे। वे चार बार मीनापुर विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके थे। एक जन नेता के रूप में उनकी पहचान रही है। बिहार सरकार में मंत्री भी रहे। जीवन के अंतिम क्षण तक हुए समाज के लोगों की चिंता करते रहे। उनका अंतिम संस्कार गोबरसही में ही किया जाएगा। उनके निधन शोक व्यक्त करते हुए सांसद अजय निषाद, पूर्व मंत्री विधान पार्षद देवेश चंद्र ठाकुर, विधायक निरंजन राय, विधायक इसराइल मंसूरी, पूर्व एमएलसी गणेश भारती, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष अरविंद मुकुल, जदयू नेता प्रोफेसर शब्बीर अहमद, प्रोफेसर धनंजय सिंह, अखिलेश सिंह, भाजपा नेता संजीव शर्मा आदि ने कहा कि एक सच्चा जन नेता चला गया। यह अपूरणीय क्षति है। वे समाज के अंतिम व्यक्ति को हक दिलाने की पहल जीवन के अंतिम क्षण तक करते रहे।
हिंद केसरी साल 1995 में जनता दल से चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस के सकलदेव सहनी को हराया। साल 2000 में दिनेश प्रसाद ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीता था। दिनेश ने आरजेडी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हिंद केसरी को शिकस्त दी थी। हालांकि, साल 2005 के फरवरी महीने में हुए चुनाव में हिंद केसरी ने जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे दिनेश को हराकर 2000 के चुनाव में मिली हार का बदला चुकता कर लिया था।
आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री की रचनाओं में प्रकृति और ब्रह्म का विराट प्रतिफलन
बेला पत्रिका की ओर से गुरुवार को आनलाइन महावाणी स्मरण का आयोजन किया गया। आचार्यश्री और मातृशक्ति विषय पर केंद्रित वक्तव्य में बेला के संपादक कवि-साहित्यकार डा.संजय पंकज ने कहा कि महाकवि आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री बड़े साधक रचनाकार थे। उनकी आध्यात्मिक चेतना में ब्रह्मांड के रहस्यलोक तथा अंतर्यात्रा के दर्शन होते हैं। प्रकृति और ब्रह्म का विराट प्रतिफलन उनकी रचनाओं के माध्यम से हम देख सकते हैं। मातृशक्ति पर उनकी सैकड़ों रचनाएं हैं। 108 गीतों का संग्रह श्यामा संगीत उनकी मातृशक्ति- उपासना और आध्यात्मिक चेतना को उजागर करता है। कहा कि बंगाल की काली साधना को श्यामा संगीत में रागात्मक गीत-स्वरूप देकर आचार्यश्री ने रचनात्मक विस्तार दिया है। कवि डा.विजय शंकर मिश्र ने आचार्यश्री के गीत श्वेत शतदल पर सुशोभित अरुण चरणों में नील अंबर हरित धरती संग मैं नत हूं सुनाया। कवि सत्येंद्र कुमार सत्येन ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि आज हम भले ही निराला निकेतन में उपस्थित नहीं है लेकिन आचार्यश्री को प्रणाम करते हुए उनके चरणों में अपने भाव सुमन और शब्द अर्पित कर रहे हैं।
Source : Dainik Jagran
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