शारदीय नवरात्रि शुरू होने ही वाली है और पूरे देश में इसकी धूम साफतौर पर देखी जा सकती है। इस बार पितृपक्ष के तुरंत बाद अधिक मास शुरू हो गया इसीलिए नवरात्रि एक महीने बाद शुरू हो रही है। 17 अक्टूबर से शुरू होगी नवरात्रि और पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाएगी।
देखा जाए तो कोरोना के चलते इस साल सारे त्योहार सादगी से ही मनाए जा रहे हैं और नवरात्रि पर भी इसका असर तो पड़ेगा ही। सोशल डिस्टेंसिंग के चलते लोगों को जमा नहीं होना है तो फिर त्योहार घर में ही मनाया जाएगा।
वैसे तो नवरात्रि की धूम पूरे देश में होती है पर कुछ ऐसे शहर भी हैं जहां इसका विशेष महत्व है और पूरे साल यहां नवरात्रि का इंतजार किया जाता है। अन्य राज्यों के अलावा यहां की नवरात्रि में भाग लेने विदेश से भी लोग आते हैं।
बंगाल की दुर्गा पूजा
नवरात्रि और दुर्गा पूजा की बात आते ही बंगाल का नाम सबसे पहले आता है जहां की दुर्गा पूजा बेहद खास होती है। यहां की दुर्गापूजा दुनिया भर में मशहूर है। यहां नवरात्रि के छह दिनों तक दुर्गा को पूजा जाता है। ये दिन हैं महालय, षष्ठी, महासप्तमी, महाअष्टमी, महानवमी और विजयादशमी। नवरात्रि में शहर भर में हर गली-नुक्कड़ पर पंडाल लगाए जाते हैं। यहां मां दुर्गा की बनाई हुई मूर्तियां दुनियाभर में मशहूर है। पंडालों में दुर्गा माता की इन मूर्तियों के साथ-साथ और देवी-देवताओं की भी मूर्तियां रखी जाती हैं। साथ ही पंडालों में हर साल नई थीम रखी जाती है।
पंडालों में लोगों की खूब भीड़ जुटती है और विशेष आरती की जाती है। इन पंडालों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की मूर्तियां रखी जाती हैं। इस दौरान बंगाली महिलाएं अपने पारंपरिक वेष-भूषा में तैयार होकर पंडालों में दर्शन आदि करने जाती हैं। पर कोरोना के चलते इस बार ऐसी धूमधाम
शायद ही हो पाए।
गुजरात में होता गरबा महोत्सव
नवरात्रि के दौरान गुजरात में सबसे ज्यादा गरबा महोत्सव का आयोजन किया जाता है। नवरात्रि के पहले दिन यहां मिट्टी का एक मटका स्थापित किया जाता है, जिसके अंदर सुपारी, नारियल और चांदी का सिक्का रखा जाता है। मटके के अंदर एक दिया जलाया जाता है। दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यहां नवरात्रि में गरबा-डांडिया डांस भी किया जाता है।
इस मौके पर पारंपरिक गुजराती ड्रेस में पुरुष-महिला के जोड़े एक साथ गरबा पंडालों में गीत-संगीत की धुन पर नृत्य करते हैं। गरबा पंडालों को खासतौर पर सजाया जाता है। गरबा महोत्सव के दौरान मां दुर्गा की आराधना की जाती है। इसमें हिस्सा लेने के लिए लोग खासतौर पर तैयारी करते हैं। इतना ही नहीं, बल्कि करीब एक महीने पहले से ही ट्रेनिंग भी लेते हैं। आजकल गरबा का क्रेज देश के कई शहरों में बढ़ता जा रहा है। जिससे अन्य प्रदेशों में भी इसका चलन बढ़ गया है।
महाराष्ट्र की नवरात्रि
नवरात्रि में महाराष्ट्र के बहुत से लोग अपने घरों में दिया जलाकर रखते हैं। ये दिया लगातार नौ दिन जलता रहता है। दशहरा के दिन घर के पुरुष घर के वाहन, चाकू, दूसरे ज़रूरी टूल्स की पूजा करते हैं। उनका धन्यवाद करते हैं। इसे ‘अयुद्ध’ पूजा कहा जाता है।
नवरात्रि में महाराष्ट्र के लोग कार, घर और प्रॉपर्टी को खरीदना शुभ मानते हैं। नवरात्रि के दौरान शादीशुदा महिलाओं को एक दूसरे के घर आमंत्रित करते हैं और उन्हें सिंगार की चीजे जैसे- सिंदूर, चूड़ी और बिंदी आदि तोहफे के रूप में देते हैं। हालांकि महाराष्ट्र में कई प्रदेशों के लोग जाकर बसे हुए हैं तो इस वजह से वहां पर भी गुजरात और कोलकाता की झलक देखने को मिल जाती है।
ऐसी होती है पंजाब की नवरात्रि
पंजाब में नवरात्रि को अलग ही तरीके से मनाया जाता है। यहां लोग पहले सात दिन तक व्रत रखते हैं, इस दौरान जगराते का आयोजन किया जाता है। देवी दुर्गा के पूजन के साथ 8वें दिन भंडारे कराते हैं और 9 कन्याओं को भोजन कराने के बाद व्रत खोला जाता है। इन कन्याओं को दान और लाल चुनरी भेंट की जाती है। जिन्हें ‘कंजीका’ नाम से पुकारा जाता है।
तमिलनाडु की नवरात्रि
तमिलनाडु में नवरात्रि को ‘गोलू’ नाम से जाना जाता है। देवी की आराधना के लिए लोग अपने घरों में 100 छोटी-बड़ी मूर्तियां रखते हैं। जब ये मूर्तियां एक ही पंडाल में रखी जाती है तो यह नजारा किसी म्यूजियम जैसा दिखता है। यहां लोग देवी के तीन रूपों की आराधना करते हैं।
कर्नाटक की नवरात्रि
कर्नाटक के मैसूर शहर का दशहरा पूरे देश में मशहूर है। नवरात्रि के आखिरी दिन हाथियों को सोने-चांदी के गहनों से सजाया जाता है और मैसूर के राजमहल (मैसूर पैलेस) की खासतौर पर लाइटिंग की जाती है।
केरल में होती है सरस्वती पूजा
केरल में नवरात्रि पर्व के आखिरी तीन दिनों अष्टमी, नवमी और दशहरा का खास महत्व है। देश में 100 फीसदी लिटरेसी वाले राज्य में लोग देवी सरस्वती के पास दो दिन तक अपनी किताबें रखते हैं और इन्हें दशहरा के दिन उठाते हैं। इस दौरान लोग अपने लिए अच्छी बुद्धि और कामयाबी की कामना करते हैं।
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
उत्तर भारत के कई राज्यों में नवरात्रि के दौरान देवी मां की मूर्ति स्थापित की जाती है। इस दौरान खास तौर पर आरती और पूजन किया जाता है। इसके साथ ही कलाकारों के द्वारा रामलीला की प्रस्तुति दी जाती है। जिसमें भगवान श्रीराम लंका के राजा रावण का वध करते हैं। नौ दिन रामलीला के मंचन के बाद दशहरे के मौके पर रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जातें हैं। इसे असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है।
ऐसी होती है तेलंगाना की नवरात्रि
तेलंगाना में नवरात्रि में दुर्गा पूजा के साथ ही शुरू होता है बतुकम्मा उत्सव। पूरे नौ दिनों तक माता के प्रतीक बतुकम्मा पूजा होती है, हर शाम महिलाएं इसके चारों ओर जमा होकर खेलती हैं और फिर नवरात्रि के अंतिम दिन इसे विसर्जित कर दिया जाता है।