पुणे. दुर्घटना में दाेनाें हाथ खाे चुकी पुणे की श्रेया सिद्दनागौड़ा काे डाॅक्टराें ने पुरुष के हाथ ट्रांसप्लांट करने की बात कही ताे एक पल काे वह चाैंकीं, लेकिन काेई विकल्प नहीं था, इसलिए उन्हाेंने सहमति जता दी। श्रेया बताती हैं, ‘नए हाथ बड़े, सांवले और भारी थे। कलाइयां चाैड़ी थीं, अंगुलियां पुरुषों की तरह थीं। बाल भी काफी थे।’ अब ढाई साल बाद श्रेया के शरीर ने इन हाथाें काे अपना लिया है। हाथाें का रंग श्रेया के शरीर से मेल खाता है। इन पर बाल नहीं हैं। ये अधिक कोमल हैं।

21-year-old student from Pune and the curious case of her changing hands

श्रेया की मां सुमा बताती हैं, ‘काेई भांप नहीं सकता कि ये पुरुष के हाथ हैं। श्रेया अब चूड़ियां पहनने लगी है और नेल पाॅलिश भी लगाती है।’ इस बदलाव से डाॅक्टर भी अचंभित हैं। श्रेया की जिंदगी में साल 2016 में उस समय भूचाल आया था, जब पुणे से कर्नाटक स्थित मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नाेलाॅजी जाते वक्त बस पलट गई थी। हादसे में उनके दाेनाें हाथों ने हरकत बंद कर दी थी। उस समय उनकी उम्र 18 वर्ष थी।

21-year-old student from Pune and the curious case of her changing hands

एशिया का पहला सफल इंटर जेंडर हैंड ट्रांसप्लांट

श्रेया ने प्रोस्थेटिक हाथ इस्तेमाल करने की कोशिश की, लेकिन रोजमर्रा की जरूरत पूरी नहीं हुईं। कुछ महीनाें बाद श्रेया ने केरल के एक अस्पताल में होने वाले ट्रांसप्लांट के बारे में पढ़ा। श्रेया कहती हैं, ‘जब हम काे-ऑर्डिनेटर से मिले तो उन्होंने डाेनर न मिलने की समस्या बताई। यह सुनकर हमें निराशा हुई, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। एक घंटे बाद ही फोन आया कि एर्नाकुलम में एक काॅलेज छात्र को बाइक एक्सीडेंट के बाद ब्रेन डेड घोषित किया गया है। उसका परिवार हाथ डोनेट को तैयार है। उसी दिन 9 अगस्त 2017 को 36 डॉक्टरों की टीम ने 13 घंटे में ट्रांसप्लांट किया। यह एशिया का पहला सफल इंटर जेंडर हैंड ट्रांसप्लांट था।

After the transplant. Credit: Arul Horizon

डेढ़ साल तक श्रेया की फिजियोथैरेपी होती रही 

सर्जरी करने वाले डाॅ. सुब्रमण्यम अय्यर के मुताबिक, हाथों में बदलाव एमएसएच नामक हाॅर्माेन की वजह से हाे सकता है। यह मस्तिष्क से नियंत्रित हाेने वाले मेलेनिन के उत्पादन काे बढ़ाता है।

Shreya's hands now. Credit: Arul Horizon

नए हाथाें से दी परीक्षा, डाॅक्टर बाेले- गहन स्टडी की जरूरत

श्रेया कहती हैं, ‘ट्रांसप्लांट के समय शरीर और हाथों का रंग अलग था, लेकिन इतना संतोष था कि मेरे हाथ हैं।’ डॉ. सुब्रमण्यम अय्यर कहते हैं कि श्रेया के केस में हम कलर कोडिंग की जांच कर रहे हैं। केस समझने के लिए गहन स्टडी की जरूरत है। बदलाव चौंकाने वाले हैं। इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ चुकी श्रेया फिलहाल इकोनॉमिक्स से बीए कर रही हैं। पिछली परीक्षा उन्होंने नए हाथों से दी है।

Hand Transplant Patient's Hands Change Colour in Strange Development

श्रेया कहती हैं, ‘ट्रांसप्लांट के समय शरीर और हाथों का रंग अलग था, लेकिन इतना संतोष था कि मेरे हाथ हैं।’ डॉ. सुब्रमण्यम अय्यर कहते हैं कि श्रेया के केस में हम कलर कोडिंग की जांच कर रहे हैं। केस समझने के लिए गहन स्टडी की जरूरत है। बदलाव चौंकाने वाले हैं। इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ चुकी श्रेया फिलहाल इकोनॉमिक्स से बीए कर रही हैं। पिछली परीक्षा उन्होंने नए हाथों से दी है।

 

 

 

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