पूरे राज्य में इन दिनों लॉकडाउन चल रहा है। सड़कों से गाड़ियां लगभग गायब हैं। मुंबई से सटे अलीबाग में शुक्रवार को एक बच्चे ने जन्म लिया और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। वहां मौजूद एक डॉक्टर ने एम्बुलेंस का इंतजार न करते हुए एक नर्स को अपनी बाइक पर बच्चे के साथ बैठाया और पास के दूसरे हॉस्पिटल ले गए, जहां एनआईसीयू की सुविधा थी। इस तरह एक दुधमुंहे बच्चे की जान बचाई जा सकी।

neonatal intensive care unit

महिला के पहले बच्चे की हो चुकी थी मौत
अलीबाग इलाके की रहने वाली श्वेता पाटिल को शुक्रवार तड़के लेबर पेन शुरू हुआ। उनके पति केतन पाटिल उन्हें पास के नर्सिंग होम में गए। केतन के मुताबिक, श्वेता को डायबिटीज की परेशानी है और उनके शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने के लिए उन्हें दवाईयों पर रखा गया था। इससे पहले वे अपना पहला बच्चा भी सही देखभाल के बावजूद खो चुके थे। श्वेता की मेडिकल हिस्ट्री को ध्यान में रखते हुए स्थानीय स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. राजेंद्र चंदोरकर को बुलाया गया। ऑपरेशन के जरिए श्वेता ने एक बच्चे को जन्म दिया।

 

लॉकडाउन की वजह से हुई दिक्कत
डॉ. चंदोरकर के मुताबिक, महिला ने 3.1 किलोग्राम के बच्चे को जन्म दिया। जन्म लेते ही बच्चे में सांस लेने में दिक्कत आ रही थी और उसका चेहरा भी नीला पड़ने लगा था। बच्चे की गिरती सेहत को देख डॉक्टर ने उसे एनआईसीयू में एडमिट करने के लिए कहा। नर्सिग होम के पास उस समय कोई एम्बुलेंस नहीं थी और न ही प्राइवेट गाड़ी को लॉकडाउन के कारण चलने दिया जा रहा था।

सिर्फ 12 घंटे में बच्चे की तबीयत में हुआ सुधार
ऐसी स्थिति में डॉ. चंदोरकर ने देरी न करते हुए बाइक से नवजात को पास के एक हॉस्पिटल तक पहुंचाया, जहां एनआईसीयू की सर्विस थी। दूसरे हॉस्पिटल के एनआईसीयू में रखने के बाद 12 घंटे बाद बच्चे की तबीयत में सुधार आ गया। डॉ. चंदोरकर ने कहा, “यह मेरे लिए एक शानदार अनुभव था। अलीबाग के ज्यादातर हॉस्पिटलों में वेंटिलेटर की कमी है। गंभीर मरीजों को दूसरे हॉस्पिटल में शिफ्ट करना पड़ता है।”

Input : Dainik Bhaskar

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