मां दुर्गा की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र कलश स्थापना के साथ गुरुवार से शुरू हो जाएगा। इस बार नौ के बजाय आठ दिन के नवरात्र होंगे। इसलिए भक्त आठ दिन ही उपवास रखेंगे। कलश स्थापित करने के साथ व्रत का संकल्प लेकर भक्त मां दुर्गा की भक्ति में लीन हो जाएंगे। कई जगहों से कलश यात्रा भी निकाली जाएगी। दुर्गा सप्तशती के पाठ व बीजमंत्रों से वातावरण गूंजने लगेगा। शाम में दीया जलाने और आरती कर मां दुर्गा के दर्शन के लिए श्रद्धालु देवी मंदिरों में पहुंचेंगे।

पंडित प्रभात मिश्र और पंडित संतोष मिश्र भारद्वाज ने बताया कि ऐन्द्र और वैधृति योग में नवरात्र शुरू हो रहा है, जो काफी शुभ फलदायी माना जाता है। कलश स्थापना सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के पहले तक किया जा सकता है, मगर अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:36 से 12:24 बजे तक रहेगा। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष पं. प्रोफेसर विनय कुमार पांडे, गरीबनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पं. विनय पाठक, पं. प्रभात मिश्र व आचार्य अखिलेश कुमार ओझा ने बताया कि 11 अक्टूबर को पंचमी व षष्ठी तिथि एक साथ पड़ रही है। षष्ठी तिथि का लोप होने के कारण आठ दिनों का नवरात्र होगा।

वहीं, माता के आगमन को लेकर बुधवार को सुबह से लेकर रात तक तैयारी चलती रही। घरों में भी कलश स्थापना की तैयारी पूरी कर ली गई है। मंदिरों को फूलों व रंग-बिरंगे रोशनी से सजाने का काम किया गया।सप्तमी को मां दुर्गा के नेत्रपट खुलते ही दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ेगी। इसके साथ पंडाल की रौनक भी बढ़ जाएगी।

पंचमी व षष्ठी एक ही दिन उसी दिन बेलन्योति

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि के पूर्व कुलपति व विश्वविद्यालय पंचांग के संपादक प्रो. रामचंद्र झा ने कहा कि गुरुवार को कलश स्थापना का सबसे उत्तम समय सुबह 06.15 से 10.15 के बीच है। इस बीच में कलश स्थापना की प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बार पंचमी तिथि का क्षय है। यानी पंचमी और षष्ठी तिथि एक ही दिन है। उसी दिन बेलन्योति होगी। प्रो. झा ने कहा कि तिथि क्षय से पूजा में कोई व्यवधान नहीं होगा।

डोली की सवारी से बढ़ेगी महिला शक्ति

शास्त्रीय मान्यता के अनुसार गुरुवार और शुक्रवार को माता की सवारी डोली होती है। मां जगदंबा डोली में सवार होकर आएंगी और डोली में बैठकर ही प्रस्थान करेंगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार नवरात्रि में माता की डोली की सवारी स्त्री शक्ति की मजबूती का प्रतीक है।

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