जीवित्पुत्रिका या जीतिया श्रद्धा और विश्वास के साथ किए जाने वाले व्रतों में से एक है। माताएं अपनी संतान की मंगलकामना को लेकर इस व्रत को करती हैं। नरौली सेन, मुशहरी के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव कुमार झा बताते हैं कि आश्विन कृष्ण अष्टमी के दिन माताएं निर्जला व्रत रखते हुए प्रदोषकाल में पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जीमूतवाहन देव की पूजा करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनके पुत्र की लंबी आयु और सभी सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार, यदि दो दिन चंद्रोदय काल में अष्टमी तिथि हो, तो परदिन व्रत करना चाहिए। इस वर्ष शनिवार 21 सितंबर को 3 बजकर 43 मिनट से अष्टमी शुरू हो जाता है। रविवार 22 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 49 मिनट तक ही अष्टमी है। इसलिए शनिवार को उपवास और रविवार को दोपहर 2 बजकर 49 मिनट के बाद पारण करना ही उत्तम रहेगा। चूंकि रविवार को चंद्रोदय काल में अष्टमी तिथि नहीं है, इसलिए उस दिन व्रत करना निषेध है। वृद्ध व रोगी महिलाएं शनिवार को संध्या 3 बजकर 43 मिनट के पूर्व जूस, शर्बत या दूध ले सकती हैं।
I just find myself happy with the simple things. Appreciating the blessings God gave me. More by Santosh Chaudhary