बिहार में बीते एक दशक में हुये विकास की अलग-अलग तस्वीरें आप देखते रहे होंगे लेकिन, इस खबर में जो तस्वीर आप देख रहे हैं वो थोड़ी अलग है. इस तस्वीर में बिहार के विकास की चर्चा आसमान से जोड़ कर की गयी है. इस तस्वीर के माध्यम से बिहार सरकार के एक मंत्री कह रहे हैं कि अब बिहार का विकास आसमान से भी दिखता है. दरअसल बिहार सरकार में जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने अपने ट्विटर हैंडर से दो तस्वीरों को शेयर किया है. इन तस्वीरों को शेयर करते हुये संजय झा ने कहा है कि आप आसमान से भी बिहार का विकास देख सकते हैं. संजय झा ने अपने ट्वीट में नासा की दो तस्वीरों को शेयर किया है. यह तस्वीरें 2012 और 2021 की हैं. इन दोनों तस्वीरों में भारत का मानचित्र है, जिसमें बिहार चमकता नजर आ रहा है.

संजय झा ने ट्वीट कर लिखा-

‘हर बिहारी को होना चाहिए गर्व’

इन तस्वीरों को लेकर जब न्यूज 18 हिन्दी ने संजय झा से बात की तो उन्होंने बताया कि बीते दिनों संसद में पेश हुए आर्थिक सर्वेक्षण में यह तस्वीर सामने आई थी, जिसे उन्होंने शेयर किया है. यह तस्वीरें बताती हैं कि बिहार में बिजली के क्षेत्र में बहुत काम हुआ है. 2005 के पहले बिहार में जब घंटों बिजली कटे रहने के बाद वापस आती थी तो लोग ताली बजाते थे कि चलो बिजली आ गयी. लेकिन, आज सूबे के हर गांव में 22 से 24 घंटे बिजली रहती है. बिहार में जिस तरह से सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिजली के क्षेत्र में काम हुआ वह अद्भुत है. इसलिए ऐसी तस्वीरों पर बिहार के लोगों को गर्व होना चाहिए.

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‘बिजली के क्षेत्र में हुआ बेहतर काम’

बता दें, बीते 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार में बिजली के क्षेत्र में काफी काम हो रहा है. पहले बिहार में बिजली की क्या स्थिति थी? वर्ष 2005 में बिहार में मात्र 700 मेगावाट बिजली की आपूर्ति होती थी. आज बिहार में 6627 मेगावाट बिजली की खपत हो रही है. हमने हर घर बिजली पहुंचा दी है. हर घर तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य दिसंबर 2018 तक निर्धारित किया गया था जिसे दो महीने पहले अक्टूबर 2018 में ही पूरा कर लिया गया. बिहार पहला राज्य है जहां सभी शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के 19 किलो वाट भार क्षमता तक के विद्युत कनेक्शन, सुविधा एप के माध्यम से लोगों को ऑनलाइन बिजली का कनेक्शन दिया जा रहा है.

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दूसरे राज्यों को बिजली बेच रहा बिहार

फिलहाल बिहार में बिजली की मांग रोजाना 4500-5000 मेगावाट की है. पिछले दिनों तक बिहार की डिमांड 4500 मेगावाट ही थी, इस समय बिहार का केन्द्रीय कोटा 7000 मेगावाट से अधिक हो गया है. जबकि उसकी अधिकतम जरूरत 6500 मेगावाट के आसपास है. साथ ही बिहार के बिजलीघरों से भी पर्याप्त बिजली का उत्पादन हो रहा है. जिससे बिहार की जरुरत को पूरा करने में आसानी हो रही है. साथ ही सप्लाई की तुलना में डिमांड कम होने के कारण इसे दूसरे राज्यों में बेचा भी भी जा रहा है.

Source : News18

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