पटना हाईकोर्ट के वकीलों की परेशानियों को लेकर समन्वय समिति की वार्ता मुख्य न्यायाधीश संजय करोल के साथ हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। नाराज वकीलों ने आंदोलन जारी रखने का फैसला किया। वे ठोस नतीजा नहीं निकलने के कारण 17 फरवरी तक न्यायिक कार्य नहीं करेंगे।
न्यायाधीश की ओर से वकीलों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया गया था। समन्वय समिति के अध्यक्ष योगेश चंद्र वर्मा, अजय कुमार ठाकुर एवं संजय सिंह ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश को वकीलों की समस्यायों को लेकर स्मारपत्र सौंपा गया था। वकीलों को हो रही कठिनाइयों का उपाय सुझाने के लिए जजों की एक कमिटी बनाई गई है। जजों की कमिटी ने भी समन्वय समिति के प्रतिनिधियों से बात की।
नए लिस्टिंग सिस्टम से हो रही परेशानी
वर्मा ने जानकारी दी कि मंगलवार को जजों की समिति से वार्ता के दौरान यह बात उभर कर आई कि नए लिस्टिंग सिस्टम से न्यायाधीशों को भी सुनवाई करने में परेशानी हो रही है। वर्मा ने यह भी कहा कि वकीलों के कार्य बहिष्कार की सूचना विधिवत तरीके से जजों को दिए जाने के बाद भी हड़ताल के दौरान जिन मामलों का निष्पादन वकीलो की गैरहाजिरी में कर लिया गया या कई महत्वपूर्ण मामलों को लंबी तारीख देकर मुल्तवी कर दिया गया, उन सभी आदेशों को रिकॉल कराने का अनुरोध भी समन्वय समिति ने रखा है।
कार्य बहिष्कार के प्रमुख कारण
- दैनिक सूची में प्रकाशित मामले को लेकर भ्रम फैलना
- किस मामले की कब सुनवाई होगी इस बात का पता नहीं चलना
- जजों के बीच मामलों के बंटवारे को लेकर भिन्नता
- सिविल के एक्सपर्ट जज को आपराधिक और क्रिमिनल के एक्सपर्ट जज को सिविल मामले की सुनवाई का कार्य सौंपना जैसे कारणों की वजह से वकील कार्य बहिष्कार कर रहे।
हड़ताल वापस लेने के बाद सुनवाई स्थगित
उधर, बिजली कर्मियों की ओर 11 फरवरी को प्रस्तावित सांकेतिक हड़ताल के निर्णय को वापस लेने के बाद उससे जुड़ी याचिका पर सुनवाई स्थगित हो गई। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की दो सदस्यीय खंडपीठ ने उपस्थित कर्मचारियों एवं अधिकारियों से कहा कि वे अपनी समस्यायों को सरकार के समक्ष रख सकते हैं। यदि वहां उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, तो कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करेगा।
Input : Dainik Jagran