पुलिस की कार्यशैली से नाराज पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को तल्ख टिप्पणी की। कहा, पुलिस का काम केवल भले लोगों को परेशान करना रह गया है। उसे नियम कानून से कुछ लेना देना नहीं। अधिकारियों ने कानून की किताबें पढऩा बंद कर दिया है।

मामला अपने पिता की जगह आर्म्स लाइसेंस खुद के नाम हस्तांतरित कराने आए एक युवक से संबंधित था। आवेदक की अर्जी पर पुलिस वालों ने लिखा कि बंदूक का लाइसेंस इसलिए नहीं दिया जा सकता, क्योंकि आवेदक गर्म मिजाज के हैं। इस पर कोर्ट ने दो पुलिस अधिकारियों की जमकर खिंचाई की।

कोर्ट ने दोनों पदाधिकारियों को कोर्ट में हाजिर कर उनसे 24 घंटे के अंदर बताने को कहा कि इस गैरकानूनी कार्रवाई के लिए उन पर कितना जुर्माना लगाया जाए। बुधवार को साढ़े 10 बजे इस मसले  पर फिर सुनवाई होगी।

कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को पढऩे- लिखने और कानून से कुछ लेना-देना नहीं है, जो मन में आया वही कर गुजरते हैं। ये चोर- डकैत को पकड़ ही नहीं पाते हैं जबकि जो सही काम करते हैं उसे भी उलझा देते हैं। इनका काम बस भले लोगों को परेशान करना रह गया है ।

क्या है वाकया 

फुलवारी शरीफ थाना अंतर्गत रहने वाले मुकेश कुमार ने लाइसेंसिंग अधिकारी के यहां एक आवेदन दे कर आग्रह किया था कि उनके पिता अखिलेश्वर प्रसाद वृद्ध हो चुके हैं। वे दो-नाली बंदूक को संभालने में असमर्थ हो गए हैं। इसीलिए उनके नाम पर जारी आम्र्स लाइसेंस को मेरे नाम पर कर दिया जाए। लाइसेंसिंग अधिकारी ने थाने से आवेदक के चरित्र के बारे में जानकारी मांगी थी।

जवाब में एएसआई दीपलाल पासवान ने प्रार्थी के आवेदन पर यह लिखा कि स्थानीय लोगों से पता किया तो जानकारी मिली कि ये गर्म मिजाज के हैं। इसी आधार पर उनके आवेदन को नामंजूर कर दिया गया। इस पर आपत्ति जाहिर कर याचिकाकर्ता मुकेश कुमार ने हाई कोर्ट पहुंच गए।

Input : Dainik Jagran

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