दो दिनों बाद गणराज्य के तौर पर भारत और उसका संविधान, दोनों 70 साल के हो जाएंगे। ऐसे में यह कम लोगों को ही पता होगा कि भारतीय संविधान की शुरुआती एक हजार प्रतियों का प्रकाशन देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया ने कराया था और इसकी एक प्रति अभी भी उसके पास सुरक्षित है। बाकी सभी प्रतियां छपने के बाद दिल्ली भेज दी गई थीं।

monarch printing machine suparna roy ht photo

चौंकाने वाली बात यह है कि दो लिथोग्राफ मशीनें, जिनका इस्तेमाल प्रिंटिंग के लिए हुआ था, अब कबाड़ के भाव बेच दी गई हैं। ये मशीनें करीब डेढ़ लाख रुपये में बिकी हैं। सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारियों के मुताबिक, संविधान को छापने के लिए जिन लिथोग्रैफिक प्लेट्स का इस्तेमाल हुआ था, उन्हें पहले ही नीलाम किया जा चुका है।

सॉव्रिन और मोनार्क नामक इन दोनों प्रिंटिंग मशीन के मॉडल का निर्माण क्रैबट्री कंपनी ने किया था। करीब सौ साल तक सर्वे ऑफ इंडिया के छापेखाने में मौजूद रहीं दोनों मशीनें अब अपनी जगहों पर नहीं हैं। सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने बताया कि दोनों मशीनों को खोलकर पिछले साल स्क्रैप डीलर को कबाड़ के भाव में करीब डेढ़ लाख रुपये में बेच दिया गया।

sovereign printing machine suparna roy ht photo

दो हस्तलिखित प्रतियों से संविधान की एक हजार कॉपियां 1955 में छापी गई थीं। कैलीग्राफी आर्टिस्ट प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अंग्रेजी में और वसंत कृष्ण वैद्य ने हिंदी में संविधान लिखा था, जबकि इसके पन्नों को सजाने का काम नंदलाल बोस, बेहोर राममनोहर सिन्हा और शांति निकेतन के अन्य कलाकारों ने किया था।

ऐसे में सवाल उठता है कि जिन दो मशीनों से पहली बार देश का संविधान छापे गए थे, उन्हें बेचने की जरूरत क्यों पड़ी। सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) गिरीश कुमार इसका जवाब देते हुए कहते हैं कि लिथोग्रैफिक मशीनें अब आउटडेटेड हो चुकी हैं और इनका रखरखाव भी काफी महंगा है। उन्होंने कहा कि आज के दौर आप इन मशीनों का इस्तेमाल प्रिंटिंग के लिए नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह बहुत महंगा पड़ता है।

place where the printing machines used to print the constitution of india were kept at the northern

लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) गिरीश कुमार ने कहा कि हमें इनका ऐतिहासिक महत्व पता है, लेकिन ये मशीनें काफी बड़ी थीं और इन्हें रखने के लिए काफी जगह चाहिए थीं। उन्होंने कहा, ‘सर्वे ऑफ इंडिया के 252 साल पूरे हो चुके हैं और इस वजह से हमारे पास काफी सारी ऐसी ऐतिहासिक विरासतें हैं। हमें इतिहास के साथ अपने जुड़ाव पर गर्व है लेकिन आगे बढ़ना होगा।’ उन्होंने कहा कि म्यूजियम में इन मशीनों का प्रतिरूप रखेंगे।

Input : Hindustan

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