यह बेगुसराय की कांवर झील है। एशिया की सबसे बड़ी गोखुर झील। पिछ्ले दिनों चुनाव यात्रा के दौरान जब मैं वहां गया था तो दस कट्ठे जमीन में इसका पानी फैला था। आज का हाल यह है। कांवर झील का म’र जाना सामान्य खबर नहीं है। नदी, पोखर, चौर और धार के लिये मशहूर उत्तर बिहार में इस साल पर्यावरण की दृष्टि से बहुत गम्भीर संकट उपस्थित हो गया है। यह सामान्य सूखा नहीं है। तस्वीर Sushant Bhaskar जी की।
इन दिनों लगभग पूरा बिहार भीषण किस्म के जलसंकट का सामना कर रहा है। दक्षिण बिहार की स्थिति तो अपनी भौगोलिक संरचना की वजह से नाजुक है ही, कल ही नवादा से खबर आई कि जल संकट की वजह से लोगों ने BDO का घेराव कर लिया। इससे पहले भी लोग पानी की मांग को लेकर सड़क पर उतर चुके हैं। कैमूर के अधौरा प्रखंड में हम मार्च में ही देख आये थे कि किस तरह बूंद बूंद रिसते पानी के लिये लोग घंटों बैठकर इन्तजार करते थे, गया में वह निरन्जना नदी अप्रैल में ही सूखी मिली जो बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति का गवाह रही है।
खद है कि उत्तर बिहार जो कभी नदी, धार, पोखर और चौर की वजह से जल संपन्न इलाका माना जाता था, वहां भी इस बार भीषण सूखे की मार पड़ रही है। बेगुसराय का कांवर लेक सम्भवतः अपने इतिहास में पहली दफा पूरी तरह सूख चुका है। पग पग पोखर वाले दरभंगा में सिर्फ 350 फीट गहरायी वाला हैण्डपम्प ही काम कर रहा है। मुजफ्फरपुर गया था तो अनिल प्रकाश जी ने जल संकट की वैसी ही हाहाकार वाली सूचना दी थी।
हैण्डपम्प सूख रहे हैं। लोग पानी के लिये यहां वहां भटक रहे हैं। नीतीश जी के सात निश्चय के तहत नल जल योजना से लोगों को कितना लाभ मिल रहा है पता नहीं।
कुल मिलाकर आपदा की स्थिति है। जिनके पास सबमर्सिबल पम्प नहीं है वे छटपटा रहे हैं। इस आपदा की स्थिति में खबरों की एक सीरीज करने की इच्छा है। अगर कोई प्रकाशन संस्थान, प्रिंट या वेब समुचित मेहनताना और यात्रा व्यय दे तो यह काम कर सकता हूं। या वे खुद अपने संवाददाताओं से करवाना चाहें तो तकनीकी सहयोग उपलब्ध करा सकता हूं। फिलहाल इस संकट, इसकी वजहें और अपेक्षित समाधान पर अधिक से अधिक बात करने की जरूरत है।
लेखक : पुष्य मित्र, वरिष्ठ पत्रकार पटना
Input : Live Bihar