नई दिल्ली. इस साल बजट में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के लिए 600 करोड़ रु. का आवंटन किया गया है। पहले एसपीजी का बजट 540 करोड़ रुपए था। पिछले साल के बजट में इसे 420 करोड़ रुपए से बढ़ाकर लगभग 540 करोड़ रुपए किया गया था। वर्तमान में केवल प्रधानमंत्री के पास 300 जवानों वाली एसपीजी सुरक्षा है।
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को पिछले साल नवंबर तक एसपीजी सुरक्षा मिली थी। एसपीजी अधिनियम की समीक्षा के बाद उनसे यह सुरक्षा वापस ले ली गई थी। इस पर बताया गया कि गांधी परिवार द्वारा सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया जा रहा है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी अगस्त में एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली गई थी। इससे पहले दो पूर्व प्रधानमंत्रियों एचडी देवेगौड़ा और वीपी सिंह से भी यह सुरक्षा वापस ले ली गई। एसपीजी की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के एक साल बाद (1985 में) की गई थी। सुरक्षा एजेंसी को पीएम और पूर्व प्रधानमंत्रियों की सुरक्षा का दायित्व दिया गया।
अटल सरकार ने 2 बार एसपीजी कानून की समीक्षा की
1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद एसपीजी सुरक्षा पूरे गांधी परिवार के लिए बढ़ा दी गई थी। 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने एसपीजी के संचालन की समीक्षा करने का फैसला किया। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, एचडी देवेगौड़ा और इंद्रकुमार गुजराल से सुरक्षा वापस ले ली गई थी।
वाजपेयी सरकार ने 2003 में एक बार फिर एसपीजी अधिनियम की समीक्षा की और संशोधन किया। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्रियों को 10 साल के लिए मिलने वाली सुरक्षा को घटाकर एक साल कर दिया गया। साथ ही सालाना समीक्षा के आधार पर सुरक्षा कवर बढ़ाने का प्रावधान किया गया।\
वाजपेयी को उनके निधन तक एसपीजी सुरक्षा मिलती रही
अटल बिहारी वाजपेयी को 2018 में उनके निधन तक एसपीजी सुरक्षा मिलती रही थी। पिछले साल भी एसपीजी अधिनियम को संशोधित किया गया। इसके तहत अब प्रधानमंत्री और उनके साथ रहने वालों को पद छोड़ने के 5 साल बाद तक एसपीजी सुरक्षा मिलेगी।
Input : Dainik Bhaskar