पीएमसीएच में कोरोना के संदिग्ध मरीजों को कड़ी निगरानी में रखा जा रहा है। डॉक्टर और चिकित्साकर्मियों को छोड़कर कोई भी मरीजों से नहीं मिल सकता है। जिन कॉटेज में संदिग्ध मरीजों का इलाज चल रहा है, उनके बाहर 24 घंटे गार्ड की तैनाती कर दी गई है ताकि वे भाग न जाएं। चूंकि एक हफ्ते पहले एक महिला मरीज की रिपोर्ट निगेटिव आई थी तो वह अस्पताल प्रशासन पर घर जाने का दबाव बना रही थी। इस दौरान उसने यह धमकी भी दी थी कि अगर उसे अस्पताल से नहीं छोड़ा गया तो जान दे देगी।

सुरक्षाकर्मी भी घबराए हुए हैं कि कहीं मरीज अचानक चले गए तो पूरी जवाबदेही उनके सिर पर आ जाएगी। इसलिए शिफ्ट में वे ड्यूटी कर रहे हैं। कोरोना की दहशत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पीएमसीएच के कॉटेज में भर्ती चारों संदिग्ध मरीजों की जानकारी मिलने के बाद इस एरिया में न तो कोई मरीज आ रहा है और न ही मरीज के परिजन। अस्पताल के कर्मचारी भी इधर आने-जाने से कतरा रहे हैं।

अस्पताल से जाने की इजाजत नहीं

बीमारी की पुष्टि नहीं होने के बावजूद पीएमसीएच प्रशासन संदिग्धों को एहतियातन 14 दिनों तक आइसोलेटेड वार्ड में रख रहा है, लेकिन वे वार्ड में रहने को तैयार नहीं हैं। समस्तीपुर और औरंगाबाद के दो मरीज बुधवार को भर्ती कराए गए। दोनों को खांसी, सर्दी और बुखार है। शुक्रवार की दोपहर दोनों में बीमारी की पुष्टि नहीं हुई। दोनों अस्पताल से जाना चाहते थे। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने उन्हें जाने की इजाजत नहीं दी।

जिस वीआईपी कॉटेज के लिए होती थी मारामारी, वहां सन्नाटा

पीएमसीएच में 27 कमरों का कॉटेज है। इनमें भर्ती होने के लिए पहले मारामारी होती थी। कई वीआईपी की पैरवी आती थी। लेकिन अब यहां सन्नाटा पसरा है। क्योंकि इसी कॉटेज में कोरोना के संदिग्ध मरीजों का इलाज चल रहा है। अभी चार संदिग्ध भर्ती हैं। एक सप्ताह पहले कॉटेज में सामान्य बीमारियों के मरीज भी भर्ती थे, लेकिन जैसे ही अस्पताल प्रशासन ने कॉटेज को कोरोना के लिए सुरक्षित किया, अन्य मरीज वहां जाने से कतराने लगे। जो वहां पहले से भर्ती थे, वे भी डिस्चार्ज कराकर चले गए।

स्वास्थ्य मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ ने ऐसे मरीजों को मानक के अनुसार आइसोलेटेड वार्ड में उपचार करने की गाइडलाइन जारी की है। डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन मानक के अनुसार संदिग्ध मरीजों के उपचार में लगा है। -प्रो. विद्यापति चौधरी, प्राचार्य पटना मेडिकल कॉलेज

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