सरकारी संपत्तियों के निजीकरण को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर है. इसी बीच केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सरकार पर लग रहे आरोपों पर पलटवार किया है. मंगलवार को लोकसभा में गोयल ने सवाल उठाया है कि सड़कें भी तो राष्ट्रीय संपत्ति हैं, लेकिन किसी ने ये नहीं कहा कि इस पर केवल सरकारी गाड़ियां चलनी चाहिए. हालांकि, इस दौरान उन्होंने यह साफ किया है कि रेलवे को पूरी तरह निजी हाथों में नहीं सौंपा जाएगा. भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत केंद्र सरकार पर विपक्ष के कई बड़े नेताओं ने रेलवे के निजीकरण पर सवाल उठाए थे.
रविवार को केंद्रीय मंत्री गोयल निजीकरण के आरोपों को लेकर विपक्ष पर काफी हमलवार दिखे. उन्होंने कहा, ‘हम पर रेलवे के निजीकरण का आरोप है, लेकिन लोग कभी यह नहीं कहते कि सड़कों पर केवल सरकारी गाड़ियां चलनी चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों निजी और सरकारी गाड़ियां आर्थिक रूप से मददगार होती हैं.’ इस दौरान उन्हें रेलवे क्षेत्र में निजी निवेश का स्वागत करने की बात कही है.
गोयल ने कहा, ‘रेलवे में निजी निवेश का स्वागत किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे सेवाओं में सुधार होगा.’ इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने रेलवे की योजनाओं और यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर भी बात की उन्होंने कहा कि निवेश और यात्री सुरक्षा पर जोर दिए जाने के कारण रेल हादसे के चलते आखिरी बार रेल यात्री की मौत मार्च 2019 में हुई थी. उन्होंने कहा, ‘करीब दो सालों में इससे कोई मौत नहीं हुई है.’
‘रेल सेवाओं से देशभर में कोरोना वायरस फैलता’
सदन में गोयल ने लॉकडाउन के दौर में रेल सेवाओं पर भी बात की. उन्होंने कहा, ‘लोगों ने लॉकडाउन की आलोचना की, लेकिन ऐसा नहीं किया जाना था.’ उन्होंने बताया, ‘रेल सेवाएं देशभर में कोविड19 फैलाती हैं.’ उन्होंने लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की मदद का मुद्दा उठाया. रेल मंत्री ने कहा, ‘रेलवे ने प्रवासी मजदूरों के लिए 2 करोड़ मुफ्त भोजन और पानी की बोतलों के साथ करीब 4600 श्रमिक स्पेशन चलाईं थीं.’ खास बात है कि कई राज्यों में कोरोना वायरस के डर से अभी भी रेल सेवा पूरी तरह चालू नहीं की गई है.
Source : News18