विभूति के पिता स्व. ओमप्रकाश ढौंडियाल के चार बच्चे थे। इनमें तीन बेटियां और सबसे छोटा बेटा विभूति था। विभूति की सबसे बड़ी बहन पूजा की शादी हो चुकी है। उनके पति सेना में कर्नल हैं। उनसे छोटी बहन प्रियंका शादी के बाद अमेरिका में रहती हैं। तीसरी बहन वैष्णवी अविवाहित हैं। वह देहरादून के एक स्कूल में पढ़ाती हैं। वर्तमान में विभूति के घर में 95 वर्षीय दादी, मां, पत्नी और एक अविवाहित बहन हैं।
शहीद मेजर विभूति को बचपन से ही सेना में जाने का जुनून था। दो बार असफल हुए। लेकिन, फिर सफलता मिली। मेजर बनने के बाद विभूति का जोश व जुनून दोगुना हो गया था। उन्होंने वर्ष 2000 में सेंट जोजेफ्स एकेडमी से 10वीं और 2002 में पाइन हाल स्कूल से 12वीं पास की। इसके बाद डीएवी से बीएससी की।
कक्षा सात से ही विभूति ने सेना में जाने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। जब वे सातवीं कक्षा में थे तब उन्होंने राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआईएमसी) में भर्ती की परीक्षा दी। लेकिन चयन नहीं हुआ। 12वीं में एनडीए की परीक्षा दी। लेकिन, चयन नहीं हुआ। ग्रेजुएशन के बाद उनका चयन हुआ और ओटीए चेन्नई में प्रशिक्षण हासिल किया। वर्ष 2012 में पासआउट होकर उन्होंने कमीशन प्राप्त किया।
मेजर विभूति का विवाह 18 अप्रैल 2018 को हुआ था। 19 अप्रैल को पहली बार पत्नी निकिता को लेकर वह डंगवाल मार्ग स्थित अपने घर पहुंचे थे। इसके ठीक दस माह बाद मेजर विभूति शहीद हो गए थे। मेजर विभूति जनवरी के पहले सप्ताह में छुट्टियां खत्म कर डयूटी पर लौटे थे। मार्च में विभूति ने घर आने का वादा किया था।
मंगलवार को शहीद मेजर विभूति की बरसी पर उनके डंगवाल मार्ग स्थिति आवास पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इसके लिए उनकी पत्नी निकिता सुबह घर पहुंच जाएगी। विभूति के परिजन भी आवास पर पहुंच रहें हैं। इस दौरान विभूति के नाम पर मेजर विभूति स्मृति समिति की घोषणा की जाएगी। जो शहीद की यादों को जिंदा रखने के लिए भविष्य में अनेक कार्यक्रम आयोजित करेगी।