पूर्वी चंपारण जिले के छाेटे से गांव पदुमकेर के कन्या विद्यालय के शिक्षक राकेश रंजन बच्चाें में देश की सेवा की भावना जगा रहे हैं। उन्हाेंने गांव में इसके लिए एक मिसाल भी पेश की है। उन्हाेंने अपने दाेनाें बेटाें अभिषेक व अविनाश रंजन काे इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट बना दिया। राकेश रंजन ने बताया कि शनिवार काे उनके लिए गर्व का क्षण था। बड़े बेटे अभिषेक रंजन के कंधाें पर भारतीय सेना का स्टार सजाकर उनकी खुशी दाेगुनी हाे गई। छाेटा बेटा अविनाश रंजन छह माह पहले ही इंडियन आर्मी  में कमीशन्ड हुआ है। उन्हाेेंने कहा कि गांव में बच्चाें के बीच देश की सेवा करने की भावना जगाना उन्हाेंने अपने स्वर्गीय पिता राज नारायण झा से सीखा। जब हम काेई बात कहें और उसका उदाहरण दें ताे उसका प्रभाव दाेगुना हाे जाता है।

पासिंग ऑउट परेड के दाैरान अपने दाेनाें बेटाें के साथ राकेश रंजन।


पापा से देशभक्ति की बातें सुनकर आर्मी  के लिए हुआ  प्रेरित |बड़े

बेटे लेफ्टिनेंट अभिषेक रंजन ने बताया कि बचपन से पापा से देशभक्ति की बातें सुनकर हमेशा राेमांचित हाे जाता था। वह इंडियन फ्रीडम स्ट्रगल और  इंडियन आर्मी की 1965 और 1972 की जीत की कहानियां सुनाते थे। सैनिक स्कूल, कपूरथला में 2006 से 2013 तक पढ़ा। पर दाखिला नहीं हाे सका। पिता ने तब दुबारा प्रेरित किया और  2015 में नेशनल डिफेंस एकेडमी में दाखिला मिल गया। यहां तीन साल की ट्रेनिंग के बाद इंडियन मिलिट्री एकेडमी, देहरादून में एक साल की ट्रेनिंग की।

मिला दाखिला, ताे पापा बाेले- तुम आगे बढ़ाे, बड़ा भाई जल्द पहुंचेगा : अविनाश

लेफ्टिनेंट अविनाश रंजन ने बताया कि बड़े भाई अभिषेक से पहले एनडीए में दाखिला मिला ताे खुशी ताे थी पर बड़े भाई के लिए दुखी था। तब पापा ने कहा कि तुम आगे बढ़ाे, भइया में जल्द ही पहुंचेगा। उन्हाेंने हम दाेनाें भाइयाें पर बहुत भराेसा जताया। हमें हमेशा जीवन में पाॅजिटिव रहने के लिए प्रेरित करते हैं। इंडियन आर्मी  में 2018 में कमीशंड हाेने के बाद 26 राजपूत जम्मू-कश्मीर में पाेस्टिंग मिली। अब इंडियन आर्मी में शामिल हाेकर गर्व हाेता है कि पापा ने हम दाेनाें भाइयाें काे आर्मी  के लिए प्रेरित किया। वह खुद आर्मी  में जाना चाहते थे।

Input : Dainik Bhaskar | Sukant Saurabh

 

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