देश के जाने माने समकालीन लेखक, नाटककार, अभिनेता और फिल्म निर्देशक गिरीश कर्नाड का सोमवार को निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और कई बार अस्पताल में भर्ती कराए जा चुके थे। सोमवार की सुबह बंगलूरू स्थित अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। 1998 में ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले गिरीश कर्नाड पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित हो चुके हैं। कर्नाड को पिछले साल दिल्ली के तीनमूर्ति सभागार में अमर उजाला ने शब्द सम्मान समारोह में ‘आकाशदीप’ सम्मान से सम्मानित किया था।
उनके निधन से पूरा कला जगत शोक में है। पीएम मोदी ने भी दुख जताते हुए कहा कि गिरीश कर्नाड हरेक माध्यमों में अपनी बहुमुखी अभिनय के लिए याद किए जाते रहेंगे। आने वाले सालों में उनके काम की लोकप्रियता बनी रहेगी। उनके निधन से दुखी हूं। गिरीश देश के साहित्य, नाटक और फिल्म जगत में बड़ी हस्ती माने जाते रहे हैं। उनके द्वारा रचित हयवदन, तुगलक, तलेदंड, नागमंडल और ययाति जैसे नाटक बहुत लोकप्रिय हुए हैं और भारत की कई भाषाओं में इनका अनुवाद और मंचन होता आ रहा है। नाट्यकला के क्षेत्र में इब्राहीम अलकाजी, अरविंद गौड़ और प्रसन्ना जैसे बड़े निर्देशक इनके नाटकों का शानदार निर्देशन कर चुके हैं।
कई पुरस्कारों से हो चुके हैं सम्मानित
- 1972: संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
- 1974: पद्मश्री
- 1992: पद्मभूषण
- 1992: कन्नड़ साहित्य अकादमी पुरस्कार
- 1994: साहित्य अकादमी पुरस्कार
- 1998: ज्ञानपीठ पुरस्कार
- 2018: अमर उजाला ‘आकाशदीप’ सम्मान
इसके अलावा गिरीश कर्नाड को कालीदास सम्मान, टाटा लिटरेचर लाइव लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार और सिनेमा के क्षेत्र में भी ढेर सारे पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं।