बिहार में कोरोना वायरस के संक्रमण (Coronavirus infection) का पहला केस 22 मार्च को मिला था, जब पटना एम्स में भर्ती किए गए मोहम्मद सैफ की मृत्यु के बाद उसकी रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव (Covid-19 positive) आई थी. इसके बाद प्रदेश में 23 मार्च को लॉकडाउन (Lockdown) घोषित कर दिया गया. हालांकि प्रवासी मजदूर घर वापस आना चाहते थे, पर इसके लिए मुख्यमंंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) तैयार नहीं थे. मुख्यमंत्री की काफी ना-नुकुर के बाद भी जब इस पर सियासत जारी रही, तो उन्होंने प्रवासी मजदूरों को वापस आने की इजाजत दी.

एक दौर आया जब अप्रैल के दूसरे पखवाड़े से लेकर मई महीने के पहले पखवाड़े तक बाहर के राज्यों में रहने वाले प्रवासी मजदूर (Migrant Laborers) बड़ी संख्या में प्रदेश वापस लौट आए. बताया जा रहा है कि 20 लाख से अधिक प्रवासियों ने घर वापसी की थी. तब यही कहा जा रहा है कि इनके कारण प्रदेश में कोरोना का संक्रमण तेज होगा. हालांकि कोरोना संक्रमण के आंकड़ों का गहराई से विश्लेषण करेंगे तो ये आशंका निर्मूल साबित हुई है कि प्रवासियों के कारण कोरोना का संक्रमण फैला है. हकीकत ये है कि प्रवासी मजदूरों को दोष देना बिल्कुल ही जायज नहीं है, बल्कि नीतीश सरकार की नाकामी इसमें ज्यादा नजर आती है.

दरअसल, 1 जुलाई को बिहार में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 10250 थी, जबकि 22 जुलाई को 30066 कोरोना संक्रमित पाए गए. आंकड़ों पर नजर डालें तो इसमें सबसे अधिक प्रभावित 10 जिले हैं, जिनमें पटना सबसे ऊपर है. 22 जुलाई शाम 5 बजे तक के आंकड़ों पर गौर करें तो पटना में 4479, भागलपुर में 1859, मुजफ्फरपुर में 1382, सिवान में 1154, नालंदा में 1051 और नवादा में 898 कोरोना मरीज पाए गए हैं.

इन जिलों के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पता चलेगा कि पटना में जहां 21433 तो गया में 73769 प्रवासी मजदूर लौटे थे. सरकार के आंकड़े ही बताते हैं कि जिन जिलों में सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर लौटे, वहां कोरोना वायरस की संख्या सीमित है. अगर आंकड़ों पर ही गौर करें तो मधुबनी में जहां 98175 प्रवासी लौटे, वहां कोरोना वायरस के 718 मामले दर्ज हैं. इसी तरह पूर्वी चंपारण में 93293 प्रवासी मजदूर लौटे, वहां अभी तक 678 संक्रमित मरीज मिले हैं. इसके अलावा कटिहार में 85797 प्रवासी मजदूर लौटे लेकिन कोरोना पॉजिटिव की संख्या महज 619 है.

इसी तरह दरभंगा में 76556 प्रवासी लौटे और कोविड-19 के महज 545 मामले ही दर्ज हैं. पश्चिम चंपारण में 62737 प्रवासी लौटे और संक्रमितों की संख्या 913 है. अररिया में 7926 प्रवासी लौटे, यहां 300 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. इसी तरह रोहतास में 59739 प्रवासी मजदूर मजदूरों ने घर वापसी की, जबकि कुल 1051 मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं, पूर्णिया में 59171 प्रवासी मजदूर लौटे हैं और संक्रमितों का आंकड़ा महज 434 है. समस्तीपुर में 54505 प्रवासी लौटे जहां अभी तक 827 मामले ही दर्ज किए गए हैं.

जाहिर है प्रवासी मजदूरों पर दोष मढ़ना कतई सही नहीं है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बिहार इकाई ने बिहार में मौजूदा कोरोना संक्रमण के लिए राज्य सरकार की लापरवाही और लेटलतीफी को जिम्मेवार ठहराया है. आईएमए के बिहार प्रदेश के वरीय उपाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने News 18 से बात करते हुए कहा कि सूबे में लंबे अरसे से डॉक्टरों के पद खाली हैं और आगाह किए जाने के बावजूद सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. डॉ. अजय ने कहा कि आज हालात ऐसे बन गए हैं कि सरकार को इच्छाशक्ति के साथ काम करना होगा और तभी हम कोरोना वायरस से जीत सकेंगे.

Input : News18

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