अब औराई प्रखंड के बेनीपुर गांव में समाजवाद के पुरोधा, कलम के जादूगर रामबृक्ष बेनीपुरी द्वारा बनवाया गया उनका ऐतिहासिक मकान और उनकी समाधि बच जाएगी। पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं समाजवादी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के पत्र के आलोक में राज्य सरकार ने बेनीपुर गांव में उनके जमींदोज हो रहे मकान के चारों तरफ रिंग बांध बनाने की घोषणा की है। इस मकान की दीवारें जयप्रकाश नारायण, प्रभावती देवी, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, शिवपूजन सहाय, फिल्मकार पृथ्वीराज कूपर एवं सूरजनारायण सिंह समेत अनेक समाजवादी राजनेताओं और साहित्यकारों की मेजबानी की साक्षी हैं। बागमती तटबंध के निर्माण के बाद बेनीपुर गांव वीरान हो गया। सैकड़ों परिवार विस्थापित हो गए। बेनीपुरी का मकान और दरवाजे पर उनका समाधि स्थल बागमती की रेत में जमींदोज होने लगा। विरासत को बचाने व संजाने की मुख्यमंत्री की पहल से मुजफ्फरपुर और खासकर बेनीपुर गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है। जल संसाधन विभाग के आदेश पर बागमती प्रमंडल के मुख्य अभियंता शांति रंजन प्रसाद ने बेनीपुरी जी के घर के चारों तरफ रिंग बांध बनाने का प्रस्ताव भेजा है।

रघुवंश बाबू ने संरक्षण का भरोसा दिया था

रघुवंश प्रसाद सिंह 23 दिसंबर 2016 को ऐतिहासिक मकान के सामने बेनीपुरी जयंती समारोह में शामिल हुए। बेनीपुरी चेतना समिति की ओर से डॉ. महेंद्र बेनीपुरी एवं महंथ राजीव रंजन दास ने बेनीपुरी स्मारक के विकास एवं मकान को सुरक्षित कराने की मांग की थी। रघुवंश प्रसाद सिंह ने विरासत के संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास की घोषणा की थी। राज्य के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बताया कि रघुवंश प्रसाद सिंह ने अंतिम सांस लेने से पहले एक पत्र उनके विभाग को भी लिखा, जिसमें बेनीपुरी के मकान और समाधि को बचाने की मांग की गई है। मुख्यमंत्री ने रघुवंश बाबू के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण के शीघ्र बाद उनके पत्र के ऐसे कार्यों को पूरा करने का निर्देश दिया है, जो संभव हैं।

पुल और सड़क से जोड़ने का प्रस्ताव

बेनीपुरी की जयंती पर हर साल 23 सितंबर को सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता और साहित्यकार नाव से बागमती नदी पार कर बेनीपुर गांव में समारोह आयोजित करते रहे हैं। गांव की सड़क, स्कूल, अधिकांश मकान एवं बिजली के खंभे भी जमींदोज हो चुके हैं। गांव पहुंचने में भारी परेशानी होती है और ऐतिहासिक धरोहर के विलुप्त होने का खतरा पैदा हो गया है। जल संसाधन विभाग ने रिंग बांध निर्माण कर उसके अंदर बेनीपुरी के मकान के चारों ओर दीवार बनाने और उस पर ग्रिल लगाने का प्रस्ताव भेजा है। प्रस्ताव में मकान तक पहुंचने के लिए बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के माध्यम से पुल और संपर्क सड़क बनवाने का भी सुझाव दिया गया है। तत्काल पुल व संपर्क सड़क पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।

यह घर नहीं, बेनीपुरी की समाधि

एक बार रामधारी सिंह दिनकर ने घर को देखते हुए बेनीपुरी जी से कहा था, अगर ऐसा घर शहर में बनवाते तो पर्याप्त किराया मिलता। बनेपुरी ने जवाब दिया था, यह घर नहीं मेरी समाधि है। यही बात उन्होंने दो जनवरी 1953 को जयप्रकाश नारायण के सामने तब दोहरायी, जब उन्होंने कहा था कि यह घर नहीं महल है। नाटककार बेनीपुरी इंग्लैंड यात्रा के दौरान 16 मई 1951 को शेक्सपीयर के गांव पहुंचे थे। एवन नदी के किनारे म्यूजियम और स्मारक की तरह सजाए गए शेक्सपीयर का घर देखकर बेनीपुरी भावुक हो गए। वे लिखते हैं-मैं भी एक छोटा सा नाटककार हूं। इस तरह शेक्सपीयर मेरे गोत्र के थे-यह भावना और भाव विभोर बना रही है….. क्या हम राजापुर में तुलसीदास की और बिस्फी में विद्यापति की स्मृति में कुछ ऐसा ही आयोजन नहीं कर सकते हैं?

Source : Hindustan

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