बिहार, उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्यों तथा नेपाल में चर्चा में रहे एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिं’ड्रोम (AES) के फै’लने का मुख्य कारण स्क्रब टाइफस नामक बै’क्टीरिया से होने वाला सं’क्रमण है। यह बै’क्टीरिया पुराने कपड़ों में गर्मी के दिनों में पैदा होते हैं, जो चूहों या छोटे जानवरों से सं’क्रमण प्राप्त मनुष्यों में जन्म लेते हैं। बड़ा खुलासा हुआ है कि बच्चों की मौ’त एईएस से नहीं, बल्कि इसी बै’क्टीरिया की वजह से हुई थी।

इंडियन मेडिकल काउंसिल रिसर्च (आइसीएमआर) के प्रोजेक्ट के तहत पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) के डॉक्टरों के रिसर्च में यह तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कंटेम्पररी पीडियाट्रिक्स में भी प्रकाशित हुई है।

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मुजफ्फरपुर में 300 बच्चों की हुई थी मौत

पीएमसीएच में शिशु विभाग के अध्यक्ष और प्रोजेक्ट हेड डॉक्टर अनिल कुमार जायसवाल ने बताया कि पिछले वर्ष गर्मी में 300 से अधिक बच्चे की मौत मुजफ्फरपुर में हुई थी। इसके पहले एईएस ने गोरखपुर में कहर बरपाया था। इस बीमारी के कारणों को लेकर पिछले छह माह से रिसर्च किया जा रहा था।

लीची से लेना-देना नहीं

आइसीएमआर प्रोजेक्ट के तहत पीएमसीएच के वैज्ञानिकों की टीम ने 500 से अधिक बीमार मरीजों का अध्ययन किया था। इनमें स्क्रब टाइफस बैक्टीरिया पाया गया जिसका लीची से कोई लेना-देना नहीं है।

भूख से मौत की रिपोर्ट भी गलत

मुजफ्फरपुर में जिस समय बच्चों की मौत हो रही थी, उस समय कुछ डॉक्टरों ने इसे भूख से जोड़ा था। डॉक्टरों के का कहना था कि गरीब परिवार के बच्चे रात में भूखे सो जाते हैं और सुबह लीची खाते हैं इससे उनकी मौत हो जाती है, लेकिन पीएमसीएच की रिपोर्ट ने उसे भी गलत करार दिया है।

कुछ दवाओं से उपचार संभव 

पीएमसीएच के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.राकेश कुमार शर्मा ने बताया कि कि बिहार, उत्तर प्रदेश एवं आसपास के पड़ोसी राज्यों में फैलने वाले एईएस के उपचार में एजिथ्रॉल गु्रप की दवाएं बेहतर काम करती हैं। पीएमसीएच में आने वाले बच्चों के उपचार में इन्हें कारगर पाया गया है।

Input : Dainik Jagran

 

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