मौसम बदलने से पालतू कुत्ते कैनाइन पारवो वायरस की चपेट में आ सकते हैं। इस बीमारी से कुत्तों की आंत में संक्रमण हो सकता है। बड़े जानवरों को इस वायरस से कोई खतरा नहीं, लेकिन छोटे जानवरों के लिए यह वायरस गंभीर खतरा पैदा करता है। समय पर इलाज नहीं मिलने से कुत्तों को खून की उल्टी भी हो जाती है। इसको लेकर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने अलर्ट जारी किया है। श्वानों में पारवो वारयस का संक्रमण कैनिन पारवो नामक विषाणु से होता है। यह संक्रमण स्वस्थ श्वानों में इस रोग से ग्रसित श्वानों के संपर्क में आने या उनके द्वारा उत्सर्जित मल-मूत्र अथवा संक्रमित सामग्रियों के उपयोग से होता है। समय से उचित इलाज नहीं होने पर 70 से 80 प्रतिशत श्वान के बच्चों की मृत्यु हो जाती है। वयस्क श्वानों में भी मृत्यु का प्रतिशत अधिक होता है।

मौसम बदलने से सिर्फ इंसान ही नहीं पालतू पशुओं की तबियत भी बिगड़ने लगी है। सबसे ज्यादा असर छोटे पालतू जानवरों पर पड़ रहा है। पशु चिकित्सकों की मानें तो मौसम बदलने से कुत्तों के लिए सबसे घातक पारवो वायरस सक्रिय हो जाता है। जिनमें वैक्सीनेशन होता है, वह डॉग तो बीमारी से बच जाते है, लेकिन जिन कुत्तों का टीकाकरण नहीं कराया गया है, उनमें यह वायरस जल्दी अटैक करता है। पारवो वायरस कुत्ते की आंत में अवरोध पैदा करता है। इससे आंतों में संक्रमण हो जाता है। जिस कारण कुत्ते को खूनी उल्टी-दस्त होने लगते हैं। पशु अस्पताल के डॉक्टरों की मानें तो कुत्ते के पिल्लों के लिए तो यह वायरस इतना घातक है कि डेढ़ से दो माह के पिल्लों की मौत तक हो जाती है।

क्या है पारवो के लक्षण

वायरस से पीड़ित कुत्ते के व्यवहार में अचानक बदलाव आ जाता है। बीमार पड़ने से पहले कुछ ऐसे लक्षण नजर आते हैं, जिससे आप आसानी से जान सकते हैं कि आपका डागी वायरल बीमारी से पीड़ित है। पशु चिकित्सकों के अनुसार पार्वो वायरस से प्रभावित कुत्ता खांसने लगता है। छींक आती हैं। कुत्ता भोजन नहीं करता। पानी नहीं पीता और उसकी नाक में सूखापन आ जाता है।

क्या है पारवो वायरस

जानवरों में तमाम तरह की संक्रामक बीमारियां होती है। इनमें कुत्तों में होने वाली बीमारियों में पार्वो वायरस बेहद घातक है। यह एक वायरल बीमारी है और समय पर उपचार न मिलने से जानवरों की मौत तक हो जाती है। वायरस से कुत्तों को बचाने के लिए तीन टीके लगाए जाते हैं। इनमें पहला टीका पिल्ले को डेढ़ महीने की उम्र में, दूसरा ढाई और तीसरा टीका साढ़े तीन महीने की उम्र में लगाया जाता है। पार्वो वायरस से प्रभावित कुत्ते की आंतों में गंभीर संक्रमण हो जाता है।

Input: Dainik Jagran

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