पटना : गृह विभाग ने थानाध्यक्ष और अंचल पुलिस निरीक्षक बनने के नियमों में फिर से बदलाव किया है। अब विभागीय कार्रवाई के बाद तीन बृहद सजा पानेवाले इंस्पेक्टर और दारोगा फिर से थानेदार बन सकेंगे। बशर्ते उनको मिली आखिरी सजा का कुप्रभाव खत्म हो गया हो।

यह कुप्रभाव अंतिम घटना की तिथि जिसके लिए सजा दी गई है, से तीन वर्ष तक प्रभावी रहेगा। गृह विभाग ने बुधवार को अपने आदेश में संशोधन को लेकर संकल्प जारी कर दिया है।

डेढ़ साल पहले बदला गया था मापदंड, अब दी गई राहत

गृह विभाग ने डेढ़ वर्ष पूर्व तय किए गए अपने ही मापदंड में बदलाव किया है। विभाग ने 24 जून, 2019 को थानेदार के लिए नए मापदंड तय किए थे। विभाग के पुराने संकल्प के मुताबिक वैसे इंस्पेक्टर या दारोगा को थानेदार या अंचल पुलिस निरीक्षक नहीं बनाया जा सकता जिन्हें विभागीय कार्रवाई के बाद तीन या उससे अधिक वृहत सजा मिली हो।

सिर्फ एक नियम में ही ढिलाई गृह विभाग ने पूर्व के आदेश के सिर्फ कंडिका 4 में ही बदलाव किया है। पुलिस पदाधिकारी की सजा यदि प्रभावी रहेगी तो थानेदार या सíकल इंस्पेक्टर नहीं बनाया जाएगा। विभागीय कार्यवाही लंबित रहने या पूर्व के संकल्प में दिए गए अन्य आरोपों में घिरे पुलिस पदाधिकारी को भी थानेदारी से वंचित रहना होगा। उल्लेखनीय है कि नियम में बदलाव से प्रदेशभर के कई पुलिसकर्मियों को राहत मिलेगी। उन्हें दोबारा थानेदार बनने का अवसर मिल सकेगा।

  • गृह विभाग ने अपने आदेश में संशोधन पर संकल्प जारी किया
  • आखिरी सजा का कुप्रभाव को खत्म होने के बाद मिल सकेगी थानेदारी

इस कारण हुआ बदलाव

विभाग के अनुसार, पुराने आदेश के अनुपालन के क्रम में उन सभी पदाधिकारियों को भी थानेदार और सíकल इंस्पेक्टर के पद से हटाने की सूचना मिल रही थी, जिनके सजा के कुप्रभाव की अवधि बहुत पहले खत्म हो चुकी है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, इस कारण थानाध्यक्षों की कमी होने लगी थी। इसी कारण नियमों को स्पष्ट करते हुए नया आदेश जारी किया गया है।

Source : Dainik Jagran

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