उत्तर बिहार में देवघर सदृश आस्था से जुड़ी बाबा गरीबनाथ की नगरी मुजफ्फरपुर में वर्षो बाद पहली बार श्रावणी मेला नहीं लगा। 61 वर्षो में यह पहला मौका था जब शिवभक्त सावन माह में बाबा गरीबनाथ को कांवर नहीं चढ़ा सके। मंदिर प्रशासक पंडित विनय पाठक की मानें तो पहली बार 1959 के करीब 15-20 लोगों ने बाबा गरीबनाथ को कांवर चढ़ाया था। इसके बाद यह परिपाटी चल पड़ी। इस बार कोरोना संक्रमण संकट कांवर यात्रा में बाधा बना।

हालांकि, शहर के विभिन्न गली-मोहल्ले के कुछ शिवालयों में श्रद्धालुओं ने बाहर से ही शिव की पूजा-आराधना की और कोरोना से मुक्ति के लिए भोलेनाथ से प्रार्थना भी की।

संध्याकाल बाबा गरीबनाथ का अत्यंत भव्य महाश्रृंगार किया गया और महाआरती हुई। इसमें केवल पुजारी परिवार के लोग ही शामिल हुए। पंडित बैजू पाठक ने विधिवत अभिषेक व षोडशोपचार विधि से पूजन के बाद महाश्रृंगार किया। साहू पोखर पर भोलेनाथ का रंग-बिरंगे वस्त्रों से महाश्रृंगार साहूपोखर स्थित महादेव मंदिर में सावन सोमवारी को लेकर पूजा समिति की ओर से भगवान भोलेनाथ का रंग- बिरंगे फूलों व वस्त्रों से महाश्रृंगार किया गया। आचार्य डॉ. चंदन उपाध्याय ने विधिवत दूध, दही, घी, शहद व जल से बाबा के अभिषेक के बाद फूल माला और वस्त्र से बाबा का महाश्रृंगार किया। जनेऊ, बिल्वपत्र, दूब, अक्षत, अष्टगंध, अबीर, भस्म आदि भी अर्पित किए गए। अंत में भोग लगाकर बाबा की आरती व प्रार्थना की गई। इसमें पूजा समिति संयोजक प्रभात कुमार आरबीबीएम प्राचार्य व भाजपा नेत्री डॉ.ममता रानी, रूपा सिंह, जितेंद्र तिवारी, प्रमोद ओझा, संतोष भट्ट, रंजन साहू, मनीष सोनी, संजय, रंजीत महतो, दिनेश, राजा आदि भी शामिल हुए।

Input : Dainik Jagran

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