Priyanka Gandhi Vadra Lucknow Visit  कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने रिटायर्ड आइपीएस एसआर दारापुरी के आवास जाते वक्‍त कुछ दूरी दोपहिया वाहन से तय की थी। ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते हुए बिना हेलमेट दोपहिया वाहन विधायक धीरज गुर्जर चला रहे थे। जिसके चलते दोपहिया वाहन का 61 सौ का चालान हुआ है। स्कूटी विनीत खंड गोमतीनगर निवासी राजदीप सिंह की थी, जिसे अभी गाड़ी के मालिक की ओर से जमा नहीं किया गया है।

दरअसल, इंडियन नेशनल कांग्रेस के स्थापना के 135वें वर्ष के कार्यक्रम के बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में गिरफ्तार किए गए रिटायर्ड आइपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी के आवास उनके परिजनों से मिलने निकलीं थीं। इस दौराप पुलिस द्वारा काफिले को रोके जाने के बाद विधायक धीरज गुर्जर के साथ स्‍कूटी पर सवार होकर प्रियंका गांधी वाड्रा ने कुछ दूरी तय की।

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बिना हेलमेट स्‍कूटी चला रहे थे विधायक 

यूपी पुलिस यातायात निदेशालय की ओर से धारा 133 मोटर अधिनियम के तहत यह नोटिस जारी की गई है। आरोप है कि वाहन संख्या यूपी 32 एचबी 8270 से प्रियंका को लेकर विधायक धीरज गुज्जर पॉलीटेक्निक चौराहे के आगे तक गए थे। इस दौरान दोनों ने हेलमेट नहीं पहना था और यातायात नियमों काा उल्लंघन किया। पुलिस की ओर से बिना हेलमेट ड्राइविंग, ट्रैफिक नियम तोडऩे, मानक के अनुरूप नंबर प्लेट नहीं होने, खतरनाक ढंग से गाड़ी चलाने और बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाने का आरोप लगाया गया है।

गुपचुप निकलीं थी कार्यालय से प्रियंका गांधीं 

बीते दिन पार्टी के स्थापना दिवस कार्यक्रम के बाद कार्यालय से गुपचुप निकल कर कुछ पदाधिकारियों के साथ प्रियंका गांधी वाड्रा नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में गिरफ्तार किए गए रिटायर्ड आइपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी के इंदिरानगर स्थित आवास निकली थीं। भनक लगते ही पुलिस ने उनकी गाड़ी गोमतीनगर में फन मॉल के सामने रोक ली और पूछताछ शुरू कर दी कि कहां जा रही हैं। प्रियंका ने तर्क दिया कि वह कोई जुलूस नहीं निकाल रहीं, किसी के घर मिलने जा रही हैं। इसके बाद भी पुलिस ने उन्हें नहीं जाने दिया। प्रियंका कार से उतरीं और विधायक धीरज गुर्जर के साथ स्कूटी पर बैठकर पॉलीटेक्निक चौराहा पहुंचीं। फिर उतरकर पैदल चलने लगीं। यहां दो महिला सीओ ने उन्हें बलपूर्वक रोकने का प्रयास किया लेकिन, वह रुकी नहीं। पुलिस धकियाती-जूझती रही, कार्यकर्ताओं के साथ करीब छह किलोमीटर का मार्च निकाल मंजिल तक पहुंचीं।

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