विधानपरिषद के दूसरे सत्र में अल्पसंख्यक कल्याण और उर्दू जुबान पर पक्ष-विपक्ष के बीच खूब बहस हुई। विपक्ष ने सरकार को अल्पसंख्यक कल्याण की योजनाओं को लागू करने में फेल बताया तो जदयू के तनवीर अख्तर ने सरकार का पक्ष लेते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव को नौवीं फेल कह दिया। इस पर राजद के सुबोध कुमार गर्म हो गए। कहने लगे-‘कौन स्टेशन धइले हैं।

जो सदस्य सदन में नहीं है, उसका जिक्र क्यों किया जा रहा है। बजट से इसका क्या लेना-देना।’ बाद में, राजद के रामचंद्र पूर्वे ने मोर्चा संभालते हुए कहा कि पढ़-लिखकर प्रोफेसर बन सकते हैं मगर नेता बनने के लिए जनता के बीच लोकप्रियता चाहिए। इस पर तनवीर अख्तर ने फिर से पलटवार करते हुए कहा कि नेता बनने के लिए संघर्ष भी करना होता है, सिर्फ पिता के नाम से काम नहीं चलती।

प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि उर्दू दूसरी सरकारी भाषा है फिर भी इसे बांग्ला की तरह ऐच्छिक विषय में डाल दिया गया है। उर्दू शिक्षकों के हजारों पद खाली हैं। किशनगंज में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को लेकर अभी तक राज्य सरकार से जमीन या केंद्र से किसी तरह का फंड नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि मिथिला से मखाना का जीआइ टैग बदलने की कोशिश की जा रही है।

वक्फ बोर्ड को दुरुस्त करने का आग्रह

इसके पूर्व जदयू के गुलाम गौस ने भी राज्य सरकार से वक्फ बोर्ड को दुरुस्त करने का आग्रह किया। बाद में अल्पसंख्यक मंत्री जमां खां ने जवाब देते हुए कहा कि सरकार 562 करोड़ रुपये अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए खर्च करेगी जिसका बजट में जिक्र है।

Input: Dainik Jagran

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