बिहार के किसानों को खेती के लिए बिजली देने का काम इसी महीने पूरा हो सकता है. इससे करने के लिए डेडिकेटिड फ्रीडर का काम का आखिरी चरण में है.बिजली कंपनी की कोशिश है इसे हर संभव प्रयास के साथ इस महीने पूरा करा जाए. लेकिन इस काम में बाढ़ की वजह से थोड़ी दिक्कत आ सकती है. बिहार उन राज्यों में से है जहाँ किसानों को 65 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली की सुविधा मिलती है.

खेतिहरों को अलग से बिजली मुहैया कराने का काम 2016 की दीनदयाल उपाध्याय ज्योति ग्राम योजना के तहत किया जा रहा है. इस योजना का खर्च 5856 करोड़ रुपये है, उसमें से केंद्र 60 प्रतिशत और बिहार सरकार 40 प्रतिशत खर्च कर रही है.

दीनदयाल उपाध्याय ज्योति ग्राम योजना के अनुसार राज्य में 33-11 केवी के 293 सब-स्टेशन बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जिसमें से 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है. कंपनी अधिकारियों के मुताबिक बचे हुए 58 सब-स्टेशनों का काम अंतिम चरण में है.

किसानों को घर के कामों के अलावा खेती के लिए अलग से बिजली देने के लिए 1388 फीडर अलग करने में से अभी तक निर्धारित लक्ष्य में से 86 फीसदी यानि 1192 फीडर को अलग किया जा चुका है और बचे हुए 196 फीडर का काम अभी चल रहा है.

किसानों की जरूरत के मुताबिक 25 व 63 केवी के ट्रांसफॉर्मर भी लगाए जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक 79 हजार 857 ट्रांसफॉर्मर में से अभी तक निर्धारित लक्ष्य में से 69 फीसदी यानि 55 हजार 52 ट्रांसफॉर्मर लग चुके हैं.

बिजली कंपनी मोटर पंप होने पर और भूमि स्वामित्व के आधार पर कनेक्शन देती है. बिजली कनेक्शन देने के लिए कंपनियों ने छह लाख 95 हजार का लक्ष्य रखा था लेकिन सिर्फ 2 लाख 62 हजार किसानों ने ही इसके लिए आवेदन किया था, इनमें से 1 लाख 42 हजार लोगों को कनेक्शन मिल चुका है.यह निर्धारित लक्ष्य का 53 फीसदी है.

कंपनी ने सोलर ऊर्जा से चलने वाले दो व तीन हॉर्सपावर के 3300 सोलर पम्प लगाने का लक्ष्य तय किया जिसमें से सिर्फ 931 लोगों ने ही आवेदन दिए, इन सभी 931 लोगों को सोलर पम्प दे दिए गया है.

Source : Hindustan

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