बिहार के ग्रामीण कार्य विभाग में बम्पर बहाली होगी। एक लाख किलोमीटर से अधिक लंबी सड़क की विभागीय स्तर पर देखरेख के लिए विभाग ने इंजीनियर सहित अन्य पदों पर बहाली करने का निर्णय लिया है। फिलहाल इसका अध्ययन हो रहा है। उम्मीद है कि इसी वित्तीय वर्ष में विभाग में बहाली की प्रक्रिया शुरू होगी ताकि साल 2023 से विभाग ग्रामीण सड़कों की देखरेख कर सके।

साल 2018 से लागू ग्रामीण सड़क की मरम्मत की मियाद 2023 में खत्म हो जाएगी। मरम्मत के चौथे वर्ष में ठेकेदारों को सड़क का नए सिरे से कोटिंग (सतह का निर्माण) करना है। इसके बाद विभाग इन सड़कों को अपने जिम्मे ले लेगा। इसके बाद अगले पांच वर्षों तक विभाग ही ग्रामीण सड़कों की देखरेख करेगा। साल 2028 के बाद देखा जाएगा कि इसके आगे भी विभाग ही ग्रामीण सड़कों की देखरेख करे या फिर से ठेकेदारों के हवाले किया जाए।

विभागीय स्तर पर सड़कों की देखरेख करने में पर्याप्त संख्या में मानव संसाधन बल की आवश्यकता है। अभी विभाग में सहायक से लेकर अभियंता प्रमुख तक के 989 पद स्वीकृत हैं। इसमें से 422 पद पर ही इंजीनियर कार्यरत हैं जबकि 567 पद रिक्त हैं। इसी तरह कनीय अभियंता के 1396 पद स्वीकृत हैं। इसमें से मात्र 440 पदों पर ही अभियंता कार्यरत हैं और बाकी 956 रिक्त हैं। इसके अलावा सड़कों की गुणवत्ता जांचने के लिए अन्य तकनीकी पदों पर भी कर्मियों की जरूरत है। सभी पदों की गणना की जा रही है। जरूरत के अनुसार इन पदों पर स्थायी या संविदा पर बहाली की जाएगी।

लैब भी होंगे दुरुस्त

सड़कों की गुणवत्ता जांचने के लिए विभाग का लैब भी है। हर जिले में लैब है पर इसमें पर्याप्त संसाधन नहीं है। अभी ठेकेदार के स्तर पर सड़कों की देखरेख में एजेंसियां अपने लैब में जांच कर लेती है। लेकिन जब विभागीय स्तर पर देखरेख होगी तो अपना लैब दुरुस्त होना जरूरी है। इसे देखते हुए विभाग ने अपने लैब को भी दुरुस्त करने का निर्णय लिया है। इन लैबों में जरूरत के अनुसार कर्मियों की बहाली होगी। साथ ही आवश्यक उपकरण भी खरीदे जाएंगे।

Input: Live Hindustan

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