कोरोना वायरस की महामारी के कारण लागू लॉकडाउन से देश के कई राज्यों के छात्र राजस्थान के कोटा में फंस गए. उत्तर प्रदेश की सरकार ने बसें भेजकर अपने छात्रों को वापस बुला लिया, जिसके बाद कई राज्यों में इस मुद्दे ने सियासी रंग ले लिया. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम की सरकार अपने छात्रों को वापस लाने के लिए तैयार हैं. वहीं, बिहार की नीतीश सरकार ने अपने छात्रों को वापस ले जाने से इनकार कर दिया था.

अब राजस्थान सरकार बिहार के छात्रों को घर जाने के लिए परमिट जारी कर रही है, लेकिन छात्रों को कोटा से वाहन नहीं मिल रहे. वाहनों के लिए छात्र परेशान हैं. कोटा में वाहन उपलब्ध नहीं हैं, जिसकी वजह से जो उपलब्ध हैं, वे काफी अधिक रकम की मांग कर रहे हैं. ऐसे में अब राजस्थान सरकार ने फैसला किया है कि बिहार के छात्रों को उनके राज्य पहुंचाने के लिए बसें लगाई जाएंगी, मगर वह ऑन पेमेंट होगा.

कोटा के प्रभारी मंत्री और राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि बिहार के छात्र बड़ी संख्या में हैं, जिनके लिए निजी वाहन बड़ी संख्या में उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसलिए हम निजी बस ऑपरेटरों से बात कर रहे हैं और कोशिश करेंगे कि कम से कम खर्च में बिहार के छात्रों को उनके गांव पहुंचाया जाए.

खाचरियावास ने कहा कि प्रदेश में फंसे अन्य राज्यों के मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए भी इसी तरह की योजना बनाई जा रही है. उन्होंने कहा कि हमारी समस्या यह है कि केंद्र सरकार इन मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं कर रही है. यहां तक कि गरीब मजदूरों के लिए गेहूं भी हमें 21 रुपये प्रति किलो के हिसाब से दे रही है, जिसकी वजह से सारी समस्या आ रही है.

दूसरी तरफ, बिहार के छात्रों का कहना है कि कोटा में गाड़ियां नहीं मिल रही हैं और जो मिल भी रही हैं, वे जाने के लिए 35000 से 40000 रुपये तक की मांग कर रहे हैं. छात्रों ने बिहार सरकार से पहल की अपील की है. कोटा के प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो बिहार ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां की सरकार ने अब तक अपने किसी अधिकारी को कोटा नहीं भेजा.

Input : Aaj Tak

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