कोरोना संकट के कारण दूसरे- दूसरे राज्यों से बिहार वापस लौट आने वाले मजदूरों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है. जब ये संकट खत्म होगा तो भी यह मान लीजिये कि इनमें से आधे से अधिक तो वापस जायेंगे नहीं और इसके बाद सरकार और समाज के सामने सबसे बड़ी चुनौती आएगी इनको रोजगार से जोड़ने की. अगर जोड़ न पाये तो ये संकट कल को अपराध उद्योग का रूप ले लेगा.

बिहार प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी को “प्रवासी भारतीय एप” बनाकर इस संकट के निवारण का प्रयास शुरू करना चाहिये , इस एप के माध्यम से आने वाले प्रवासियों के हुनर से संबंधित डेटा संग्रहित किया जा सकता हैं ताकि भविष्य में उन्हें किसी न किसी रोजगार से जोड़ा जा सके.

मगर दुर्भाग्य से बिहार में अभी तक ऐसी कोई कोशिश शुरू नहीं हुई है और कुल मिलाकर भीषण संकट सामने खड़ा है.

ऐसे में बिहार के लोग क्या कर सकते हैं?

प्रश्न है क्या बिहार आत्मनिर्भर बन सकता है?

गंगा, कमलाऔर गंडक की उपजाऊ जमीन पर विस्तृत बिहार आज न तो कृषि में कुछ विशिष्ट कर पाया है, न पशुपालन की अपार संभावना होते हुए भी इस क्षेत्र में कुछ कर पाया है, न ही वहां मतस्य पालन में कुछ हो रहा है और न ही कठोर वर्ण-व्यवस्था का अनुपालन करते हुए भी अपने किसी परम्परागत व्यवसाय को पुनः जीवित करने को तैयार ये राज्य तैयार है. उद्योग-धंधे तो अपहरण उद्योग के बाद बंद हुए वो बंद ही हैं.

कुछ मित्रों ने मुझसे कहा कि वो लोग इस समस्या के समाधान के दिशा में कुछ सार्थक करना चाह रहे हैं और इसी प्रयास के तहत इन्होने कल यानि रविवार 24 मई को दोपहर 12 से 3 के बीच ट्वीटर पर एक कैम्पेन चलाने का निर्णय लिया है हैशटैग #आत्मनिर्भर_बिहार के नाम से.

बिहार से जुड़े लोग अथवा बिहार से प्रेम करने वाले लोग “आत्मनिर्भर बिहार” की दिशा में की गई अपील के तहत कल के इस अभियान का हिस्सा बन सकतें हैं. आपका सहयोग बिहार से पलायन की समस्या के निदान का एक जरिया बन जाए तो आपके योगदान के लिए बिहार और बिहारवासी आपके हमेशा कृतज्ञ रहेंगे.

दिनांक : 24.05.2020

समय : 12 से 3 बजे दिन में

दिन : रविवार

हैशटैग : #आत्मनिर्भर_बिहार

Abhishek Ranjan Garg

अभिषेक रंजन, मुजफ्फरपुर में जन्में एक पत्रकार है, इन्होंने अपना स्नातक पत्रकारिता...